- अशोक गहलोत खेमे का दावा सरकार को खतरा नहीं, 102 विधायकों का समर्थन हासिल
- सचिन पायलट को स्पीकर के नोटिस मामले में 24 जुलाई तक राहत
- राजस्थान विधानसभा स्पीकर की अर्जी को सुप्रीम कोर्ट मे ठुकराया, हाईकोर्ट के आदेश को रखा बरकरार
जयपुर: सचिन पायलट और अशोक गहलोत खेमे के बीच संघर्ष पहले की तरह ही जारी है। सियासी लड़ाई अदालत के चौखट तक गई जिसमें पायलट खेमे को 24 जुलाई तक राहत है। राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ स्पीकर सी पी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन उन्हें राहत नहीं नहीं मिली। इस बीच अशोक गहलोत ने पीएम नरेंद्र मोदी का लिखी गई चिट्ठी के साथ साथ ऑडियो टेप के बारे में बताया।
पीएम को इसलिए लिखी चिट्ठी
अशोक गहलोत कहते हैं कि देश में लोकतंत्रित मूल्यों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने पीएम मोदी को खत लिखा। गहलोत बताते है कि पीएम यह ना कहें कि उन्हें किसी तरह की जानकारी नहीं थी या किसी ने गलत जानकारी दी। अगर वो कभी पीएम से मिलते और राजस्थान की राजनीति पर चर्चा करते तो वो कहते कि उन्हें तो कुछ पता ही नहीं था।
चाहें तो अमेरिका में जांच करा लें
ऑडियो टेप के बारे में कहा अगर आरोपियों को राजस्थान सरकार पर भरोसा नहीं है तो वो अमेरिका में जांच के लिए किसी एफएसएल एजेंसी के पास भेज सकते हैं। उन लोगों को आगे आकर जांच ते लिए अपनी आवाज का नमूना देना चाहिए। केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक सार्वजनिक जगहों पर भाषण देते हैं और सबको पता होता है कि आवाज किसकी हो सकती है।
सियासी रार पर जानकार की राय
राजस्थान की सियासत पर नजर रखने वालों का कहना है कि यह बात सच है कि गहलोत खेमा 102 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है। लेकिन कहीं न कहीं उनके मन में संशय है। गहलोत के लिए यह बेहतर होगा कि पायलट खेमे के 18 विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया जाए। अगर ऐसा होता है तो संख्या बल गहलोत के पक्ष में होगा और इस तरह से उन पर आया संकट टल जाएगा। यदि फैसला पायलट खेमे के पक्ष में जाता है तो निश्चित तौर पर अशोक गहलोत के लिए हालात सामान्य नहीं होंगे।