- कानपुर में अगले महीने से मिलने लगेगी स्टेम सेल थैरेपी
- हैलट में डायबिटीज रोगियों की स्टेम सेल थैरेपी होगी
- थेरेपी देने लिए ओपीडी से चिह्नित किए जाएंगे रोगी
Stem Cell Therapy: डायबिटीज के रोगियों को स्टेम सेल थेरेपी देने की तैयारी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के रिजनरेटिव मेडिसिन विभाग ने पूरी कर ली है। किट की कमी की वजह से पहले दो रोगियों से इसकी शुरुआत की जाएगी। स्टेम सेल थेरेपी के विशेषज्ञ बीएस राजपूत का कहना है कि अभी निशुल्क थेरेपी दी जा रही है। अगर किट उपलब्ध होती हैं या फिर रोगी अपने पास से किट लाए तो रोगियों की संख्या बढ़ाई सकती है। उन्होंने बताया कि अगले महीने से इसे शुरू कर दिया जाएगा। थेरेपी देने के लिए रोगी ओपीडी से चिह्नित किए जाएंगे। हैलट में हर महीने के तीसरे मंगलवार को थेरेपी दी जाती है। विभाग में अभी तक ऑटिज्म, मस्कुलर, डिस्ट्रॉफी, सेरिब्रल पाल्सी आदि रोगियों को स्टेम सेल थेरेपी दी जा चुकी है।
इसके साथ ही नवजात बच्चों को नाक से थेरेपी देने की तैयारी के साथ डायबिटीज रोगियों को थेरेपी दिए जाने की व्यवस्था बना ली गई है। डॉ.राजपूत ने बताया कि डायबिटीज रोगियों में वसा से निकाली गई स्टेम अधिक कारगर साबित हुई हैं। एक बार थेरेपी देने के बाद ये लंबे समय तक काम करती रहती है।
तीन महीने में नियंत्रण में आने लगा ब्लड शुगर लेवल
पूना के राजाराम (56) की फास्टिंग शुगर 225 और खाने के दो घंटे के बाद का लेवल साढ़े तीन सौ रहता था। उन्हे डायबिटिक न्यूरोपैथी होने लगी और गुर्दों पर असर आ गया। कई शहरों में जाकर विशेषज्ञों को दिखाया। एचबीए1 सी साढ़े नौ रही। दवाओं से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित नहीं हो रहा था। बाद में स्टेम सेल थेरेपी ली। तीन महीने के अंदर एचबीए1 सी सात हो गई। इसके साथ ही पेशाब से शुगर आना बंद हो गई। स्टेम सेल थेरेपी की पहली डोज से इतना फर्क आया।
स्टेम सेल थेरेपी ऐसे करेगी काम
स्टेम सेल रोगी के शरीर से वसा निकाली जाएगी तो इसमें किसी तरह के रिएक्शन की गुंजाइश नहीं रहती। स्टेम सेल कोशिकाएं पैंक्रियाज की क्षतिग्रस्त बीटा सेल की मरम्मत करके उन्हें स्वस्थ कर देती हैं।