- ढाई साल बाद आईआईटी से मोतीझील तक सड़क पर जलेंगी लाइटें
- इस रूट पर मेट्रो का काम होने से सिग्नल, कैमरे और स्ट्रीट लाइटें हटाई गईं थीं
- अब मेट्रो को नगर निगम से इन चीजों को लगाने के लिए भेजा 2 करोड़ का एस्टीमेट
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (आईआईटी) से मोतीझील तक की सड़क फिर रोशन होगी। इस सड़क पर ढाई साल बाद फिर स्ट्रीट लाइटें जलेंगी। इससे राहगीरों को शाम ढलने के बाद अंधेरे का सामना नहीं करना पड़ेगा। दरअसल, सोमवार को कानपुर नगर निगम की बैठक हुई थी। इसमें मेयर प्रमिला पांडेय ने आईआईटी से मोतीझील तक सड़क पर लाइट नहीं जलने पर नाराजगी जताई। इस पर उत्तर प्रदेश मेट्रो कॉरपोरेशन लिमिटेड को दो करोड़ रुपए का एस्टीमेट सौंपा गया।
गौरतलब है कि, शहर में आईआईटी से मोतीझील तक मेट्रो निर्माण का कार्य शुरू होने पर इस रोड से सिग्नल, सीसीटीवी कैमरे और स्ट्रीट लाइटें हटा दी गई थीं। इस वजह से इस रोड पर रात में अंधेरा छाया रहता था। मेयर ने मेट्रो के अधिकारियों से लाइट लगवाने और मुआवजा देने में हो रही देरी का कारण भी पूछा।
नगर निगम और मेट्रो के बीच चल रही खींचतान
दरअसल, कानपुर नगर निगम और उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड में खींचतान चल रही है। इस वजह से शहर के विकास कार्य और कुछ प्रक्रियाएं प्रभावित हो रही हैं। जैसे सड़क पर लाइटिंग का काम ढाई साल से अटका हुआ था। बता दें नगर निगम की कई संपत्तियों का इस्तेमाल मेट्रो द्वारा किया जा रहा है। इसके बदले नगर निगम ने मेट्रो से मुआवजे के रूप में 106 करोड़ रुपए मांगे थे, लेकिन मुआवजे की राशि के रूप में अब तक सिर्फ 17.71 करोड़ रुपए ही दिए हैं।
मुआवजे के लिए प्रशासन को भेजा पत्र
इस बारे में एसडीएम अजय आनंद वर्मा का कहना है कि मेट्रो रेल प्रशासन को पत्र लिखकर मुआवजे की मांग की गई है। प्रशासन के स्तर से मंजूरी मिलने के बाद ही नगर निगम को वह राशि भुगतान कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि नगर निगम ने मेट्रो को संपत्ति किराए पर देने के लिए पांच हजार रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर तय की है।