- नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट की ओर से एक तकनीक इजाद की गई है
- एक विशेष किस्म के तरल अल्कोहल को ठोस में बदलने कामयाबी हासिल की है
- लोगों को अब सस्ती प्रणाली ईंधन सुगमता से मिल सकेगा
Kanpur News : अल्कोहल का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में एक अलग ही तस्वीर उभरती है। बोतल में बंद खास महक वाला नशीला पदार्थ। जिसके सेवन से हर कोई झूमने लगता है। मगर अब अपनी सोच का बदलिए। यूपी कानपुर में नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट की ओर से एक तकनीक इजाद की गई है। संस्थान के स्पेशलिस्ट्स ने अब अल्कोहाल के मायने ही बदल डाले हैं।
इंस्टीट्यूट में लंबे समय से चल रहे खास प्रयोग के बाद अब एक विशेष किस्म के तरल अल्कोहल को ठोस में बदलने कामयाबी हासिल की है। आपको बता दें कि इस खास तकनीक के इजाद होने के बाद कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन होने के आसार नजर आने लगे हैं। लोगों को अब सस्ती प्रणाली ईंधन सुगमता से मिल सकेगा। जिसके चलते महंगे पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता घट जाएगी।
औद्योगिक क्षेत्रों में आएगा बदलाव
इस मामले को लेकर संस्थान से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि यह एक बॉयो फ्यूल है जो कि सस्ता होने के साथ ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी आसान होगा। इस तकनीक के सफल होने के बाद अब विशेषज्ञों में उत्साह है। दावा किया जा रहा है कि औद्योगिक क्षेत्र में अब क्रांतिकारी बदलाव आएंगे। ठोस अल्कोहल खाद्य वस्तुओं के कारोबार, पर्यटन, इंडियन आर्मी सहित कई क्षेत्रों में ईंधन के तौर पर अपनी महती भूमिका निभाएगा। सेना को बर्फीले इलाकों में जीवन गुजारने में आसानी हो जाएगी। गौरतलब है कि पहाड़ों में रहने वाले लोगों के लिए यह ईंधन किसी वरदान से कम नहीं होगा। इसमें सबसे अहम बात तो ये है कि इसके जलने पर धुंआ नहीं उठेगा। जिससे पर्यावरण को नुकसान होने के आसार नहीं के बराबर होंगे। मामूली सी कीमत व परिवहन में हल्का ये बॉयो फ्यूल स्मॉल स्केल डवलपमेंट में मील का पत्थर साबित होगा। योजना से जुड़े जानकारों के मुताबिक इसकी कीमत 50 रुपए प्रतिकिलो हो सकती है।