- रेलवे ने दी कर्मचारियों को बड़ी राहत, एक कार्ड से देश भर में कहीं भी करा सकेंगे इलाज
- कानपुर में कैंप में सेवानिवृत्त कर्मचारियों के उम्मीद कार्ड बने
- एचआईएमएस सिस्टम के जरिए सभी रेल अस्पताल एक ग्रिड से जुड़ेंगे
Kanpur Rail Employees: भारतीय रेलवे के सेवारत या फिर सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। रेलवे ने आजादी के अमृत महोत्सव पर अपने सेवारत या फिर सेवानिवृत्त कर्मचारियों को तोहफा दिया है। अब रेल कर्मी देशभर में विभाग के अधिकृत किसी भी अस्पताल में अपना इलाज करा सकेंगे। इलाज कराने के लिए अब उन्हें न तो लोको अस्पताल के डाक्टरों के रेफर की आवश्यकता होगी और न ही जिले के अंदर इलाज कराने की बाध्यता होगी। यह सब होगा उम्मीद कार्ड से। दरअसल, कानपुर के सेंट्रल स्टेशन पर कैंप लगाया गया। कैंप में सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए उम्मीद कार्ड बनाने के आवेदन लिए गए हैं।
प्रयागराज मंडल के पीआरओ अमित सिंह के अनुसार, उम्मीद कार्ड में एक यूनिक नंबर होता है। इस यूनिक नंबर को अंकित करने पर सेवारत और रिटायर रेल कर्मचारी की पूरी जन्मकुंडली यानी कि सेवा से संबंधित जानकारी सामने आ जाएगी। यूनिक नंबर दिव्यांगता कार्ड के जैसा होगा।
उम्मीद कार्ड से देश के किसी भी कोने में मिलेगा इलाज
इस कार्ड में किसी के सत्यापन की आवश्यकता नहीं होगी। अब उम्मीद कार्ड से कोई भी कर्मचारी देश के किसी कोने में अपना इलाज करा सकेगा। अभी तक कर्मचारियों को दूसरी जगह या प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होने के लिए रेलवे के डॉक्टरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। कैंप में दो सौ से ज्यादा उम्मीद कार्ड और पेंशन रिवीजन के मामले सामने आए हैं। पीआरओ अमित सिंह ने कहा कि इनका निस्तारण भी कर दिया गया।
ऑनलाइन होगा मरीजों का रिकॉर्ड
आपको बता दें कि रेलवे के भी कई बड़े अस्पताल हैं, इन अस्पतालों में भी जटिल रोगों का अच्छा इलाज होता है, लेकिन, मंडल से बाहर के अस्पताल में सामान्य तौर पर रेलकर्मियों को आसानी से इलाज नहीं मिल पाता है। जटिल रोगों के उपचार के लिए अगर बाहर जाना होता है तो उसके लिए उनको लंबी औपचारिकताएं पूरी करनी होती है। इसके कारण रेल कर्मी अच्छे अस्पतालों की सुविधाएं नहीं ले पाते हैं। अब रेलवे बोर्ड के निर्देश पर एचआईएमएस सिस्टम विकसित हो रहा है। इसके जरिए सभी रेल अस्पताल एक ग्रिड से जोड़ दिए जाएंगे। मरीजों का रिकार्ड ऑनलाइन होगा। ऑनलाइन होने के बाद मरीज को डॉक्टरों का पर्चा भी साथ लेकर घूमने नहीं पड़ेगा। अपने रजिस्ट्रेशन नंबर के जरिए वह किसी भी रेल अस्पताल के डॉक्टर से इलाज करा सकेंगे।