- कानपुर में बच्चों को मिलेगी डिजिटल सिटीजनशिप, बताए जाएंगे टेक्नोलॉजी के खतरे
- बच्चों को खतरों से किया जाएगा आगाह
- बच्चों को मॉडयूल के हिसाब से करेंगे प्रशिक्षित
Central Council Of Secondary Education: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) से संबद्ध सभी स्कूलों में कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को एक कोर्स कराने के बाद डिजिटल सिटीजनशिप दी जाएगी। इसका उद्देश्य बच्चों को शुरू से ही ऑनलाइन टेक्नोलॉजी के खतरों से रू-ब-रू कराना है। ताकि वे भविष्य में सुरक्षित ढंग से डिजिटल कार्य कर सकें। कोविड काल के बाद यह माना गया है कि बच्चों को मोबाइल, कम्प्यूटर व इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग के बारे में जानकारी अवश्य होनी चाहिए। कोविड काल के दौरान दो वर्षों तक ऑनलाइन पढ़ाई हुई है।
बोर्ड ने इसका फीडबैक स्कूलों और स्टूडेंट्स से लिया है। शिक्षकों के फीडबैक में कहा गया है कि बच्चों की डिजिटल पढ़ाई सुरक्षित होनी चाहिए। बच्चे स्वयं यह जान सकें कि ऑनलाइन का उपयोग क्या है और इसके खतरों से कैसे बचा जा सकता है।
स्किल मॉड्यूल से देंगे सिटीजनशिप
सीबीएसई के निदेशक (स्किल एजुकेशन एण्ड ट्रेनिंग) डॉ. बिस्वाजीत साहा ने सभी स्कूलों के हेड को भेजे निर्देश में कहा है कि युवा पीढ़ी को जिम्मेदार और सुरक्षित डिजिटल सिटीजन बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इससे वे टेक्नोलॉजी का सकारात्मक उपयोग कर सकेंगे। इसके लिए त्रिस्तरीय एक पाठ्यक्रम तैयार किया गया है।
बच्चे खतरों से बच सकेंगे, शिक्षकों को प्रशिक्षण
डिजिटल सिटीजनशिप के माध्यम से बच्चे मोबाइल गेम्स, सीरियल और फिल्मों की लत, अनाधिकृत वेबसाइट आदि के खतरों के अलावा हैकिंग के नुकसान के बारे में भी जान सकेंगे। प्रिंसिपलों और शिक्षकों को डिजिटल सिटीजनशिप के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद वे कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को मॉड्यूल के हिसाब से प्रशिक्षित करेंगे। डिजिटल सिटीजनशिप का सर्टिफिकेट मिलेगा।
कैसे कराएंगे यह कोर्स
डिजिटल सिटीजन बनाने के लिए सीबीएसई बच्चों को प्रैक्टिकल व थ्योरी दोनों कराएगा। इसमें केस स्टडी, प्रभाव और गतिविधियों की जानकारी भी दी जाएगी। छात्र डिजिटल एटीकेट, साइबर सिक्योरिटी और इंफॉर्मेशन लिटरेसी के बारे में जान सकेंगे। इसमें ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एआर-वीआर और डिजिटल की काल्पनिक दुनिया के बारे में भी पढ़ाया जाएगा।