मुख्य बातें
- सोशल मीडिया डेली रूटीन का हिस्सा बन गया है।
- कई बच्चे हैं, जो अपना सारा वक्त सोशल मीडिया पर गुजार रहे हैं।
- सोशल मीडिया स्कूली छात्रों के लिए उपयोगी है या हानिकारक
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए स्कूल की छुट्टी पहले ही कर दी गई है। वहीं लॉकडाउन की स्थिति में बच्चों को घर से बाहर भी नहीं जाने दिया जा रहा है। ऐसे में कई बच्चे हैं, जो अपना सारा वक्त टीवी देखने या फिर सोशल मीडिया पर गुजार रहे हैं। कई ऐसे बच्चे हैं जो सोशल मीडिया के एडिक्ट हो चुके हैं, सुबह से लेकर शाम तक वह सोशल मीडिया पर मौजूद रहते हैं।
वहीं ऐसा नहीं है कि सोशल मीडिया के सिर्फ नुकसान ही है, बल्कि इन सोशल साइट ने कई लोगों को एक प्लैटफॉर्म दिया है, जहां वो न सिर्फ स्टार बन रहे हैं बल्कि उन्हें अपने हुनर दिखाने का मौका भी मिला। ऐसे में कैसे सोशल मीडिया स्कूली छात्रों के लिए उपयोगी है और हानिकारक, आइए जानते हैं....
सोशल मीडिया किस तरह स्कूली छात्रों के लिए है उपयोगी
- सोशल मीडिया डेली रूटीन का हिस्सा बन गया है। सोशल मीडिया के जरिए हम मौजूदा स्थिति के बारे में आसानी से जान लेते हैं। इससे आप अपने सामान्य ज्ञान को भीबढ़ा सकते हैं। इसके अलावा आप अपने दोस्त और रिश्तेदारों से भी जुड़े रहते हैं।
- सोशल मीडिया की वजह से छात्र अब और अधिक तकनीक-प्रेमी हो गए हैं और इन टूल्स को सही तरीके से उपयोग करना जानते हैं। यही नहीं बच्चे अब कक्षाओं और किताबों तक ही सीमित नहीं हैं। बता दें कि सोशल मीडिया लोगों को करीब लाने के लिए एक जरिया के रूप में काम करता है। कई ऐसे लोग हैं, जो अपने घर परिवार से दूर विदेश में रहते हैं, ऐसे में आप सोशल मीडिया के जरिए किसी से कहीं भी आसानी से बात कर सकते हैं।
- इसके साथ ही कोई व्यक्ति जो अपनी भावनाओं को शेयर नहीं कर पाते हैं वह इन टूल्स के जरिए अपनी बातों को व्यक्त कर सकते हैं। वहीं कक्षा में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए से सीखना अब एक आम बात है। जहां आप किसी भी जरूरत के हिसाब से क्लास ले सकते हैं। इसके जरिए आप आप पैसे और समय दोनों की बचत कर सकते हैं। कई ऐप हैं जो स्कूल के छात्रों के लिए फायदेमंद हैं जिन्हें वे अपने स्कूल असाइनमेंट के लिए डाउनलोड और इस्तेमाल कर सकते हैं।
सोशल मीडिया स्कूली छात्रों के लिए है हानिकारक
- स्कूली छात्र उम्र में काफी छोटे होते हैं, ऐसे में सोशल मीडिया पर देखने वाले चीजों से डिस्ट्रैक्ट भी हो सकते हैं। बता दें कि बच्चों का दिमाग ज्यादा विकसित नहीं हैं इसलिए वे अच्छे और बुरे में अंतर नहीं कर सकते हैं। ऐसे में उनके मन में उन लोगों या मुद्दों के बारे में पक्षपाती विचार पैदा हो सकता है, जिनके बारे में उन्हें शायद ही कोई जानकारी हो।
- सोशल मीडिया पर बहुत सारे गंभीर विवादों के लिए अतिसंवेदनशील है जैसे चित्र, डेटा, झूठे फैक्ट्स, समाचार, वीडियो आदि पोस्ट होते हैं। जो ज्यादातर लोगों को परेशान कर सकता है। ऐसे में जो व्यक्ति सोशल मीडिया पर अधिक रहते हैं, वह सामाजिक जीवन से कट जाते हैं।
- कई लोगों के लिए सोशल मीडिया इतना महत्वपूर्ण हो गया है कि वह आसपास मौजूद लोगों से भी बात नहीं करते हैं। वहीं सोशल मीडिया इन दिनों लोगों को ट्रोल करने के लिए अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में छात्रों के लिए यह सुरक्षित नहीं है।
- कई ऐसे छात्र होते हैं, जो बिना किसी डर के कुछ भी पोस्ट कर देते हैं। इस तरह यह उनके छवि को खराब करता है। इसके अलावा छात्र के खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो सकती है और आगे की पढ़ाई भी खतरे में पड़ सकती है। छोटे बच्चे साइबर बुलिंग और साइबर क्राइम के प्रति संवेदनशील होते हैं। कई ऐसे उदाहरण समाचार में भी दिखाए जा चुके हैं।