- सपा के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को आजीवन कारावास
- गैंगरेप केस में सुनाई गई सजा
- आजीवन कारावास के साथ दो लाख जुर्माने की भी सजा
सपा सरकार में पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को गैंगरेप मामले में गायत्री प्रजापति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इस मामले में आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी को भी आजीवन कारावास और 2 लाख रुपये का भी कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया है। 18 मार्च 2017 में पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति गिरफ्तार हुए थे । चित्रकूट की एक महिला और उसकी नाबालिग बेटी के साथ गैंगरेप के आरोप में गिरफ्तार हुए थे। इस मामले में बीते दिनों एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने गायत्री समेत तीन आरोपियों को मामले में दोषी करार दिया। चार अन्य अभियुक्तों को बड़ी कोर्ट ने मामले से बरी कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ था केस
18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति के साथ साथ 6 अभियुक्तों के खिलाफ गैंगरेप, जानमाल की धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। पीड़िता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था। पीड़िता ने गायत्री प्रजापति और उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरदस्ती शारीरिक संबध बनाने का आरोप लगाया था।
यह है मामला
पीड़िता के मुताबिक 2013 में वो चित्रकूट के राम घाट पर गंगा आरती के एक कार्यक्रम में मौजूदा कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति से मिली थी। 2014 में पहली बार गायत्री ने उसके साथ रेप किया और उसके बाद यह सिलसिला 2016 तक चला। गायत्री प्रसाद प्रजापति के साथ उनके दूसरे लोग भी शामिल थे। 2016 में पहली बार पीड़िता ने यूपी के डीजीपी को इस मामले की शिकायत दी। लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस और सरकार को पीड़िता की एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।
18 जुलाई 2017 को यूपी पुलिस ने गायत्री प्रसाद प्रजापति, विकास वर्मा, आशीष शुक्ला और अशोक तिवारी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया। बाद में अमरेन्द्र सिंह उर्फ पिंटू, चंद्रपाल और रूपेश्वर उर्फ रूपेश के नाम भी शामिल किए गए। 2 नवंबर 2021 को सभी आरोपियों के बयान दर्ज किए गए। 8 नवंबर 2021 को कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी की थी और 10 नवंबर 2021 को पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति, अशोक तिवारी एवं आशीष कुमार को दोषी करार दिया गया जबकि अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, विकास वर्मा चंद्रपाल और रुपेशवर उर्फ रूपेश को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया।