- अनिल देशमुख को 14 दिन की न्यायिक हिरासत
- मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय ने की है गिरफ्तारी
- सचिन वझे की गिरफ्तारी के बाद जांच की आंच अनिल देशमुख तक पहुंची
मनी लॉन्ड्रिंग केस में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की परेशानी और बढ़ गई है। उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। गिरफ्तारी से पहले ईडी की टीम ने 12 घंटे तक पूछताछ की थी। अदालत से ईडी ने करीब 10 दिनों की रिमांड की मांग की थी हालांकि अदालत ने 6 नवंबर तक की रिमांड दी थी। देशमुख को शनिवार को स्पेशल हॉलीडे कोर्ट में पेश किया गया था,सुनवाई में ईडी ने एक बार फिर कस्टडी की मांग की थी। लेकिन अदालत ने ईडी की मांग को ठुकराते हुए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। बता दें कि अनिल देशमुख के बेटे को भी पूछताछ के सिए ईडी ने समन जारी किया था।
क्या है मामला
अब सवाल यह है कि अनिल देशमुख पर कैसे शिकंजा कसता चला गया तो उसके लिए 25 फरवरी को उस घटना को याद करना होगा जिसमें मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटक से लदी कार मिली और उस केस में मुंबई पुलिस में एपीआई सचिन वझे का नाम सामने आया। सचिन वझे के नाम के सामने आने के बाद जब जांच आगे बढ़ी तो एक से बढ़कर एक सनसनीखेज जानकारियां सामने आने लगी। जांड में सचिन वझे ने मुंबई पुलिस के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर का परमबीर सिंह का नाम लिया। उसके बाद परमबीर सिंह ने सीएम उद्धव ठाकरे को खत लिखा और बताया कि किस तरह से तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख, सचिन वझे के जरिए वसूली रैकेट चलाते थे और हर महीने 100 करोड़ की मांग थी।
100 करोड़ वसूली मामले में नया मोड़
महाराष्ट्र में 100 करोड़ की वसूली मामले में अब अचानक नया मोड़ आ चुका है, जांच के लिए गठित चांदीवाल आयोग को एफिडेविट मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की ओर से हलफनामा भेजा गया है। इस एफिडेविट में परमबीर सिंह ने बताया कि उनके पास महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।महाराष्ट्र सरकार ने इस साल मार्च में देशमुख के खिलाफ सिंह के आरोपों की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल के एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। आयोग ने सिंह को अनेक समन जारी किये लेकिन अब तक वह उसके समक्ष पेश नहीं हुए हैं। आयोग ने उनके खिलाफ एक जमानती वारंट भी जारी किया।