शराबबंदी वाले राज्य बिहार में हाल के दिनों में जहरीली शराब पीने के कई लोगों की मौत होने से नीतीश सरकार के फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। इसी बीच बिहार के मुख्ममंत्री नीतीश कुमार ने आज (15 नवंबर) कहा कि कुछ लोग मेरे खिलाफ हो गए क्योंकि मैंने शराबबंदी का आदेश दिया था और मैं इसको लेकर गंभीर हूं। जो इसका विरोध करते हैं उन्हें शराबबंदी से बुरा लगता है। यह अलग बात है, उनकी अपनी राय हो सकती है। लेकिन हमने लोगों की सुनी- पुरुष और महिला दोनों को। मैं शराब के खिलाफ खड़ा हूं।
भारतीय मादक पेय कंपनियों के परिसंघ (सीआईएबीसी) ने बिहार की एनडीए सरकार से राज्य में शराबबंदी समाप्त करने पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है। परिसंघ ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शराबबंदी के बिना महिलाओं की मदद करने के उनके घोषित लक्ष्यों को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाने का सुझाव दिया है। शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 16 नवंबर को उच्च स्तरीय बैठक भी बुलाई है।
बिहार प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर हमला करते हुए ट्वीट किया कि क्या यह सच्चाई नहीं है कि थानों से शराब की बिक्री हो रही है और कमीशन सरकार तक नहीं पहुंच रहा? क्या यह यथार्थ नहीं है कि शराबबंदी के नाम पर मुख्यमंत्री द्वारा की गयी हजारों समीक्षा बैठकों का अभी तक का परिणाम शून्य ही नहीं बल्कि तस्करों को प्रोत्साहित करने वाला ही साबित हुआ है? विगत 3 दिनों में शराब माफिया संग मिल बिहार सरकार द्वारा आपूर्ति की गयी जहरीली शराब से बिहार में 50 से अधिक लोगों की संस्थागत हत्या हुई है। शोकसंतप्त परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। शराबबंदी का ढोंग करने वाले संवेदनहीन मुखिया चुप है क्योंकि मिलीभगत जो है।
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि कहीं कहीं अन्य घटनाएं हुई हैं, एक स्थान से नक्सलियों की घटना की सूचना मिली है। इसकी जांच की जा रही है। यह अलग बात है लेकिन सामान्य अपराध की घटनाओं में कमी आई है। मैं यह भी जोड़ना चाहूंगा कि शराबबंदी के बाद अपराध दर में कमी आई है।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि ऐसा नहीं है कि (राज्य में) अपराध बढ़े हैं। अपराध के आंकड़े नहीं बढ़े हैं। अगर कुछ होता है तो कार्रवाई की जाती है। प्रशासन और पुलिस एक्टिव है और जहां भी कुछ हो रहा है, वहां कार्रवाई की जा रही है।