- जाति आधारित जनगणना कराना चाहती है जद-यू और राजद पार्टियां
- इस बारे में सीएम नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है
- इस पत्र पर प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से अभी कोई जवाब नहीं आया है
पटना : राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता एवं बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला है। तेजस्वी ने बुधवार को पूछा कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोगी हैं या गुलाम, यह उन्हें स्पष्ट करना चाहिए। जाति आधारित जनगणना पर सवाल किए जाने पर राजद नेता ने यह प्रतिक्रिया दी। राजद देश में जाति आधारित जनगणना कराने की मांग कर रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश भी इसकी मांग कर चुके हैं। उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी को पत्र भी लिखा है।
जाति आधारित जनगणना पर नीतीश ने पीएम को पत्र लिखा है
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक तेजस्वी ने कहा, 'जाति आधारित जनगणना पर बातचीत के लिए हम चार अगस्त से पीएम को पत्र लिखते आ रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री के पास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने के लिए समय नहीं है। नीतीश कुमार पीएम के सहयोगी हैं अथवा गुलाम?' जाति आधारित जनगणना पर बातचीत के लिए सीएम नीतीश ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है। नीतीश का भी कहना है कि इस पत्र पर पीएम की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
बिहार विस में पारित हुआ है प्रस्ताव
गत 16 अगस्त को नीतीश ने कहा, 'प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने जाति आधारित जनगणना कराने की मांग से जुड़ा पत्र मिलने की पुष्टि की है। हम पीएम से अपनी मुलाकात की प्रतीक्षा कर रहे हैं।' सीएम ने कहा कि जाति आधारित जनगणना के संबंध में प्रस्ताव सर्वसम्मति से बिहार विधानसभा एवं विधान परिषद में पारित हो चुके हैं। 2020 में भी इस बारे में प्रस्ताव विधान परिषद से पारित हुआ है।
झारखंड में राजद का विस्तार चाहते हैं तेजस्वी
झारखंड में राजद के विस्तार की संभावनाओं पर चर्चा के लिए तेजस्वी ने बुधवार को पार्टी नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने कहा, 'पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए मैं हर महीने प्रत्येक तीसरे रविवार को झारखंड का दौरा करूंगा। पिछले विधानसभा चुनाव में हम कम अंतर से कई सीटें हार गए। इस बारे में पार्टी नेताओं के साथ विस्तार से चर्चा हुई है।' तेजस्वी ने बताया कि झारखंड में संजय यादव पार्टी के प्रधान महासचिव होंगे। बाढ़ संकट पर पीएम पर निशाना साधते हुए राजद नेता ने कहा कि इस समस्या की समीक्षा के लिए केंद्र से एक भी समिति नहीं बनाई गई है। बिहार के बाढ़ संकट पर पीएम का जरा भी ध्यान नहीं है।