पटना: जदयू उपध्यक्ष प्रशांत किशोर पार्टी में रहेंगे या नहीं इस पर बिहार के मुख्यमंत्री और पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि किसी ने एक पत्र लिखा जिसका मैंने उत्तर दिया, कोई ट्वीट कर रहा है, उसे ट्वीट करने दें। मुझे इससे क्या मतलब है? पार्टी (जेडीयू) में कोई भी तब तक रह सकता है जब तक वह चाहे, वह चाहे तो जा सकता है। क्या आप जानते हैं कि वह पार्टी में कैसे शामिल हुए? अमित शाह ने मुझे उन्हें शामिल करने के लिए कहा।
इस पर प्रशांत किशोर ने एएनआई से कहा कि नीतीश जी बोले, आपको मेरे जवाब का इंतजार करना चाहिए। मैं उनको जवाब देने के लिए बिहार आऊंगा।
नीतीश ने कहा कि कोई ट्वीट कर हमको क्या मतबल है। जब तक किसी की इच्छा रहेगी पार्टी में रहने का, तब रहेगा, जब जाने का मन होगा तब जाएगा। हमलोग की पार्टी अलग तरह की है। हमारे यहां ट्वीट का कोई मतलब नहीं है। हमारे यहां सभी साधारण कटैगरी के लोग हैं, आम लोग हैं। बड़े विद्वान लोगों की ये पार्टी नहीं है। लेकिन हम सबका सम्मान करते हैं। अगर किसी का अपना ओपिनियन है तो उनका है इससे पार्टी को कोई लेना देना नहीं है। वह यहां कैसे आया। हमसे अमित शाह जी ने कहा कि इन्हें ज्वाइन कराइए। अगर किसी को कहीं जाने का मन करता है तो जा सकता है
वहीं नीतीश के बयान पर प्रशांत किशोर की प्रतिक्रिया भी सामने आई उन्होंने ट्वीट करके कहा है कि क्या नीतीश कुमार में अब इतना साहस है कि वह अमित शाह की सिफारिश पर आए किसी शख्स को नकार सकें।
गौरतलब है कि किशोर ने कई बार नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के मुद्दे पर अपनी पार्टी से अलग मत रखा रखा है जबकि जदयू ने संसद के दोनों सदनों में इस कानून का समर्थन किया था। पिछले महीने, किशोर ने कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री कुमार की बता सकते हैं कि किस परिस्थिति में पार्टी ने लोकसभा और राज्यसभा में नागरिक (संशोधन) बिल का समर्थन किया।
इस साल 24 जनवरी को, बिहार के मुख्यमंत्री ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के साथ पार्टी के गठबंधन के बारे में नीतीश कुमार को पत्र लिखकर पार्टी के सीनियर नेता पवन के वर्मा पर निशाना साधा था। मीडिया द्वारा पत्र के बारे में पूछे जाने पर, कुमार ने कहा था कि यह एक पत्र नहीं है। यदि कोई व्यक्ति पार्टी में है, तो वह किसी मुद्दे स्पष्टीकरण के लिए पत्र लिखता है और फिर उस व्यक्ति को एक उत्तर दिया जाता है।