- राहुल गांधी ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर उठाए सवाल, इसे 'एमवीएम' बताया
- केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राहुल पर किया पलटवार, जीतने पर चुप हो जाता है विपक्ष
- बिहार में सात नवंबर को होगी अंतिम चरण की वोटिंग, दलों ने प्रचार में पूरी ताकत लगाई
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव का नतीजा आने से पहले ही इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) राहुल गांधी के निशाने पर आ गया है। राहुल गांधी ने बुधवार को चुनावी रैली को संबेधित करते हुए कहा कि यह इवीएम नहीं बल्कि 'एमवीएम' है। तीसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे राहुल ने कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने सरकार से पूछा कि नए कृषि कानूनों में कृषि उपज को कहीं पर भी बेचने की व्यवस्था की गई है लेकिन सरकार यह बताए कि किसान अपनी कैसे बेचेंगे क्योंकि बिहार में सड़क नहीं है।
पीएम से मोदी विचारधारा की लड़ाई
राहुल ने कहा, 'मेरी प्रधानमंत्री मोदी की विचारधारा की लड़ाई है। मैं जब तक उन्हें हरा नहीं दूंगा, एक इंच भी पीछे नहीं हटूंगा। नफरत को नफरत से नहीं सिर्फ प्यार से काटा जाता है।' वहीं, ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए जाने पर भाजपा ने राहुल पर पलटवार किया। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि कांग्रेस जब पंजाब में चुनाव जीतती है तो वह कुछ नहीं कहती। दिल्ली में केजरीवाल चुनाव जीतते हैं तो विपक्ष कुछ नहीं कहता लेकिन चुनाव में कांग्रेस की जब हार होती है तो ईवीएम 'एमवीएम' हो जाता है।
सिंह ने कहा, 'राहुल गांधी को देश पर और यहां की संस्थाओं पर कोई भरोसा नहीं है। कांग्रेस नेता को भरोसा पाकिस्तान की भाषा बोलने वालों और चीन पर है।'
कांग्रेस ने की प्रवासी मजदूरों की मदद
इससे पहले राहुल गांधी ने प्रवासी मजदूरों के मसले पर पीएम मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा। अपने एक ट्वीट में राहुल ने कहा, 'कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार और बिहार सरकार प्रवासी मजदूरों पर अत्याचार कर रही थीं तो कांग्रेस ने उनकी मदद की। कांग्रेस सत्ता में नहीं थी फिर भी उसने मजदूरों की मदद की।'
नड्डा ने किया राहुल पर पलटवार
राहुल के इस आरोप पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस नेता पर पलटवार किया। नड्डा ने कहा, 'कोविड-19 के संकट के दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी यादव दिल्ली में बैठे थे क्योंकि ये लोग महामारी से डरे हुए थे। अब ये सवाल उठा रहे हैं कि कोरोना के समय बिहार में क्या हुआ। महामारी के संकट के दौरान केवल बिहार के मुख्यमंत्री एं भाजपा कार्यकर्ताओं ने यहां के लोगों के दुख-दर्द को समझा और उनकी मदद की।'