- एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में मिलता है हाई पे सैलरी
- एयरोनॉटिकल के लिए फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ्स जरूरी
- सरकारी व प्राइवेट क्षेत्र में शानदार करियर बनाने का अवसर
Aeronautical Engineering Jobs: अगर आपका मन भी प्लेन को देखकर उसके बारे में जानने को बेचैन होता है तो एयरोनॉटिक इंजीनियरिंग का फिल्ड आपके लिए ही है इंजीनियरिंग सेक्टर में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग को जहां सबसे चुनौतीपूर्ण माना जाता है, वहीं इसमें करियर निर्माण की बेहतर संभावनाएं भी होती हैं। इस फील्ड में जहाजों की डिजाइनिंग, निर्माण, विकास, परीक्षण, ऑपरेशंस के साथ-साथ अंतरिक्ष यानों, उपग्रहों और मिसाइलों का डेवलपमेंट किया जाता है।
एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया एंड कोर्स
एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने के लिए छात्रों का फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ्स पर अच्छी पकड़ होना जरूरी है। भारत में मुख्य रूप से 4 प्रकार के एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कोर्स कराए जाते हैं। इसमें 12 वीं के बाद 3 साल का डिप्लोमा कोर्स, 4 साल का एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीई व बीटेक, 4 साल का एमई व एमटेक एवं दो साल का पीएचडी डॉक्टरेट डिग्री कोर्स कराया जाता है। इस कोर्स में छात्रों को एयरक्राफ्ट को ऑपरेट करने की टेक्निक्स और फ्लाइट-केपेबल मशीन्स की स्टडी, डिजाइन और मेंटेनेंस से जुड़े सभी कार्यों की जानकारी दी जाती है।
करियर के अवसर
एयरोनॉटिकल इंजीनियर कोर्स पूरा करने के बाद प्राइवेट एयर लाइन कंपनियों के साथ इसरो व रक्षा मंत्रालय में आसानी से नौकरियां पा सकते हैं। इसके अ लावा एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के पास नेशनल एयरोनॉटिकल प्रयोगशाला, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं व नागरिक उड्डयन विभाग जैसे संगठनों में हाई पे सैलरी पर कार्य कर सकते हैं।
जरूरी स्किल्स
एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने के लिए छात्रों के अंदर गणितीय शुद्धता और डिजाइन स्किल, कम्प्यूटर दक्षता और अच्छी कम्युनिकेशन स्किल होनी बहुत जरूरी है। इसके अ लावा इनके अंदर योजना बनाने तथा दबाव में काम करने की क्षमता होने के साथ मैनुअल, नार्मल कलर विजन, फिजिकल फिटनेस, टेक्नीकल और मेकेनिकल एप्टीट्यूड, स्पेसक्राफ्ट और एयरक्राफ्ट उपकरण के लिए जुनून होना चाहिए।
सैलरी पैकेज
कोर्स पूरा करने के बाद एयरोनॉटिकल इंजीनियर को हाई पे सैलरी मिलती है। इनका वेतन 20 से 50 लाख रुपये सालाना माना जाता है। यह पैकेज उम्मीदवार के अनुभव, स्किल और ऑर्गनाइजेशन के आधार पर होता है। सरकारी क्षेत्र में एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स को ग्रेड के आधार पर रखा जाता है और इनकी सैलरी सरकारी क्षेत्र में फिक्स्ड स्केल के आधार पर होती है। जहां तक करियर ग्रोथ और विकास का सवाल है, तो एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग को स्ट्रीम में स्थिर करियर, अच्छा पैकेज और बेहतर भविष्य की संभावनाएं हैं।