Ekadashi Katha In Hindi, Puja Vidhi And Muhurat: हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। साथ ही इस व्रत के प्रभाव से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न हो जाती हैं। जो व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन से करता है उसके जीवन में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की शक्तियों में से एक देवी एकादशी ने उत्पन्न होकर राक्षस मुर का वध किया था। अगर आपने ये व्रत रखा है तो इस दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा।
एकादशी व्रत की कथा हिंदी में (Ekadashi Katha In Hindi)
धार्मिक मान्यताओं अनुसार भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को एकादशी माता के जन्म की कथा सुनाई थी। इस कथा के अनुसार सतयुग में मुर नामक एक राक्षस था जो बेहद बलवान था। उस राक्षस ने इंद्र, आदित्य, वसु, वायु, अग्नि आदि सभी देवताओं को पराजित कर दिया था। परेशान होकर सभी देवताओं ने भगवान शंकर के सामने सारी बात रख दी। तब भगवान शिव ने कहा, हे देवताओं! तीनों लोकों के स्वामी भक्तों के दुखों का नाश करने वाले श्री हरि विष्णु की शरण में जाइए। वो ही आपके दुख दूर करेंगे।
भगवान शिव के कहे अनुसार सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उन्होंने अपना दुख बताते हुए कहा कि हे प्रभु, राक्षसों ने हमें पराजित करके हमारा स्वर्ग छीन लिया है। आप उस राक्षस से हम सबकी रक्षा करें। भगवान विष्णु ने देवताओं को चंद्रावती नगरी जाने को कहा। उस समय राक्षस मुर सेना सहित युद्ध भूमि में दहाड़ रहा था। तब खुद भगवान हरि रणभूमि में आए और उन्होंने राक्षस मुर से युद्ध किया। ये युद्ध पूरे 10 हजार साल तक चलता रहा लेकिन मुर नहीं मरा। फिर भगवान विष्णु बद्रिकाश्रम चले गए। वहां हेमवती नामक सुंदर गुफा थी उसमें कुछ दिन आराम किया। यह गुफा 12 योजन लंबी थी और उसका एक ही दरवाजा था। भगवान विष्णु वहां आराम करते-करते सो गए।
Ekadashi 2022 Date, Puja Vidhi: कैसे रखें उत्पन्ना एकादशी व्रत, जानें सबकुछ
मुर भी भगवान विष्णु के पीछे-पीछे उस गुफा में आ गया और भगवान को सोया देखकर मारने की सोचने लगा, तभी भगवान के शरीर से उज्ज्वल, कांतिमय रूप वाली एक देवी प्रकट हुई। देवी ने राक्षस मुर को ललकारा, युद्ध किया और उसे तत्काल मौत के घाट उतार दिया। भगवान विष्णु जब अपनी नींद से जाग्रत हुए, तो सब बातों को जानकर उन्होंने उस देवी से कहा कि आपका जन्म एकादशी के दिन हुआ है। अत: आप उत्पन्ना एकादशी के नाम से पूजी जाएंगी। आपके भक्त वही होंगे जो मेरे भक्त हैं।