- कॉमनवेल्थ गेम्स में एथलीटों को मिलेगी नस्लवाद के खिलाफ विरोध की छूट
- फेडरेशन ने आधिकारिक ऐलान करते हुए दी सूचना
- अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद विश्व खेल जगत में भी गुस्सा
लंदन: अमेरिका में श्वेत पुलिस अधिकारी की बेरहमी से अफ्रीकी-अमेरिकी मूल के व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद सिर्फ अमेरिका में नहीं बल्कि विरोधी की आग पूरी दुनिया में फैलती जा रही है। शुरुआत में सिर्फ अश्वेत लोग इससे जुड़े थे, अब सभी समुदाय इससे जुड़ते जा रहे हैं। माहौल को देखते हुए खेल जगत से भी ऐतिहासिक फैसले सामने आने लगे हैं। ताजा खबर राष्ट्रमंडल खेलों (Commonwealth Games) से संबंधित है। राष्ट्रमंडल खेलों के फेडरेशन द्वारा ऐलान कर दिया गया है कि आयोजन के दौरान खिलाड़ियों को नस्लवाद के खिलाफ विरोध की पूरी छूट होगी।
राष्ट्रमंडल खेल उन खेल महासंघों की बढ़ती सूची में शामिल हो गया है जो खिलाड़ियों को कार्रवाई के डर के बिना नस्लवाद के खिलाफ विरोध करने की अनुमति दे रहे हैं। राष्ट्रमंडल खेल महासंघ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेविड ग्रेवमबर्ग ने गुरुवार को एक कॉन्फ्रेंस कॉल में कहा, ‘लोग कहते हैं, ‘क्या आप भानुमती का पिटारा नहीं खोल रहे हैं?’ खैर नहीं, मुझे लगता है कि हम लोगों को अपने विचार रखने के अधिकार का सम्मान कर रहे हैं।’
घुटने पर बैठकर विरोध की आजादी
उदाहरण के लिए, बर्मिंघम में 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में एथलीट घुटने के सहारे बैठ कर विरोध कर सकते है। ग्रेवमबर्ग ने हालांकि कहा कि ‘‘मेरे लिए इस (विरोध के तरीके के बारे में) पर कुछ कहना उचित नहीं होगा।’ राष्ट्रमंडल खेलों में 70 से अधिक देशों और क्षेत्रों के खिलाड़ी भाग लेते है जिसमें कई अफ्रीकी देश भी शामिल है।
ओलंपिक को लेकर भी आईओसी सहमत
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने भी बुधवार को कहा था कि वह इस पर विचार करेगा जिससे एथलीटों को तोक्यो ओलंपिक खेलों में मजबूत विरोध प्रदर्शन करने मंजूरी मिल सके। उधर, क्रिकेट जगत में भी इसकी आग तेजी से फैली है। वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम इन दिनों इंग्लैंड दौरे पर गई हुई है। जुलाई के पहले हफ्ते में सीरीज खेली जानी है और कैरेबियाई खिलाड़ी अपनी तरह से विरोध दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं।