लाइव टीवी

समुद्र के रास्ते चेन्नई से ओडिशा पहुंचे 25 मछुआरे, तय किया 1,100 किमी का सफर

Sea boat
Updated Apr 28, 2020 | 00:51 IST

Coronavirus lockdown: लॉकडाउन की वजह से चेन्नई में फंसे ओडिशा के मछुआरे समुद्र के रास्ते नाव से अपने घर पहुंच गए।

Loading ...
Sea boat Sea boat
तस्वीर साभार:&nbspPTI
सांकेतिक फोटो

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कारण देश में तीन मई तक लॉकडाउन है। इस दौरान लोग के घरों से बेवजह बाहर निकलने पर पाबंदी है। साथ ही सड़क, रेल और हवाई यातायात सहित सभी तरह का परिवहन बंद है। लॉकडाउन के चलते बड़ी तादाद में लोग अपने घरों से दूर अन्य राज्यों में फंस गए हैं। ऐसे में लोग अपने घर पहुंचने के लिए तरह-तरह की जुगत लगा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला ओडिशा से सामने आया है जहां 25 मछुआरे नाव के जरिए समुद्र के रास्ते अपने घर पहुंचने में कामयाब रहे। दरअसल, लॉकडाउन की वजह से यह मछुआरे चेन्नई में फंस गए थे। मछुआरों ने लंबे समय तक चेन्नई में रहने की बजाए समुद्र के रास्ते ही घर लौटने का ठान ली।

मछुआरों ने लकड़ी की नाव का इस्तेमाल किया

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 25 मछुआरे सोमवार को समुद्र के रास्ते नाव से ओडिशा में अपने पैतृक निवास गंजम जिला पहुंचे। चिकिटी ब्लॉक के तहसीलदार हरप्रसाद भोई ने बताया कि मछुआरे रामयापटना तट पर पहुंचे और उन्हें पृथकवास के लिए तत्काल अस्पताल ले जाया गया। उन्होंने बताया कि 12 मछुआरे रामयापटना के रहने वाले हैं जबकि आठ पाटी सोनपुर के और पांच मछुआरे मरकंडी गांव के निवासी हैं। भोई ने बताया कि मछुआरों की प्राथमिक स्वास्थ्य जांच की गई और उन्हें खाना दिया गया। उन्होंने बताया कि 1,100 किलोमीटर का सफर तय करने के लिए मछुआरों ने लकड़ी की नाव का इस्तेमाल किया। 

ओडिश में कोरोना मरीज 100 से अधिक

ओडिशा में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ओडिशा में कोरोना से सात और लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है जिसके बाद राज्य में संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 110 हो गई है। वहीं, संक्रमण से अब तक 37 लोग ठीक हो गए हैं और एक शख्स की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने बताया कि सभी नए मामलों में छह बालासोर जिले में सामने आए हैं। साथ ही दसमंतपुर में 22 वर्षीय स्वास्थ कर्मी भी संक्रमित पाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि वह स्वास्थ्य कर्मी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत है। यह आदिवासी बहुल कोरापुट जिले के साथ-साथ दक्षिणी ओडिशा का पहला मामला है।