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Independence Day 2022: जानिए कैसे हुए थी भारत के झंडे की शुरुआत, आजादी तक 6 बार बदला स्वरूप

Updated Aug 15, 2022 | 10:15 IST

Independence Day 2022: जब देश ब्रिटिश शासन से मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहा था, तब स्वतंत्रता सेनानियों को ध्वज की आवश्यकता महसूस हुई थी। इसके बाद सबसे पहली बार साल 1906 में बंगाल के बंटवारे के विरोध में झंडा फहराया गया था।

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तस्वीर साभार:&nbspPeople
तिरंगे की यात्रा
मुख्य बातें
  • पहली बार साल 1906 में फहराया गया भारत का झंडा
  • बंगाल विभाजन के विरोध में फहराया गया झंडा
  • अब तक 6 बार बदल चुका है भारतीय झंडे का स्वरूप

Independence Day 2022: आज यानी 15 अगस्त 2022 को देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इस मौके पर सरकार ने 'हर घर तिरंगा' अभियान चलाया है। इस मौके पर सभी लोगों को अपने घरों, दफ्तरों और मोहल्लों में देश का 'राष्ट्रीय ध्वज' फहराना है। राष्ट्रीय ध्वज किसी भी देश की पहचान का महत्वपूर्ण अंग होता है। राष्ट्र के स्वतंत्र होने के प्रतीक के साथ-साथ यह राष्ट्र के गौरव का प्रतीक भी होता है।

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज का वर्तमान स्वरूप हमें आजादी के साल से मिला है। भारतीय झंडे के परिवर्तन की कहानी बहुत ही रोचक है। वर्तमान स्वरूप तक पहुंचने के लिए भारतीय झंडे को एक लंबी यात्रा तय करनी पड़ी है। जब देश ब्रिटिश शासन से मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहा था, तब स्वतंत्रता सेनानियों को ध्वज की आवश्यकता महसूस हुई थी। इसके बाद सबसे पहली बार साल 1906 में बंगाल के बंटवारे के विरोध में झंडा फहराया गया था। आप भी देखिए कैसी रही तिरंगे की यात्रा-

पहला ध्वज- साल 1906

पहली बार साल 1906 में देश का गैर आधिकारिक ध्वज फहराया गया था। इसे 7 अगस्त, 1906 को ‘बंगाल विभाजन’ के विरोध में कलकत्ता में फहराया गया था। हरे, पीले और लाल रंग की क्षैतिज पट्टियों से बने इस ध्वज में सबसे ऊपर लगी हरी पट्टी में आठ अधखिले कमल के फूल बने हुए थे। वहीं सबसे नीचे की लाल पट्टी में चांद और सूरज बने हुए थे। वहीं बीच की पीली पट्टी में देवनागरी में ‘वंदे मातरम्’ लिखा हुआ था।

दूसरा ध्वज- साल 1907

भारत का दूसरा ध्वज साल 1907 में भीकाजी कामा द्वारा फहराया गया था। यह पेरिस में फहराया गया था। यह ध्वज पहले ध्वज के लगभग समान ही था। हालांकि इसमें सबसे ऊपर केसरिया रंग कर दिया गया था। वहीं बीच में पीला और नीचे हरा रंग हो गया था। केसरिया रंग वाली पट्टी पर कमल के फूल की जगह सात तारे बने थे। वहीं बीच के पीले रंग की पट्टी पर देवनागरी में ‘वंदे मातरम्’ लिखा था। इसके अलावा हरी पट्टी पर सूरज और चांद थे। 

तीसरा ध्वज- साल 1917

भारत का तीसरा ध्वज साल 1917 में होमरूल आंदोलन के दौरान फहराया गया था। यह ध्वज भारतीय राजनीतिक संघर्ष के निश्चित मोड़ लेने के बाद डॉ एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने फहराया था। यह ध्वज पहले के दोनों ध्वज की तुलना में बिल्कुल अलग था। इसमें पांच लाल और चार हरी क्षैतिज पट्टियां थीं। इन पट्टियों पर सप्तऋषि के स्वरूप को दर्शाते हुए सात सितारे थे। इसके अलावा ऊपर दायीं तरफ एकता को प्रदर्शित करने के लिए अर्धचंद्र व तारे भी थे। ध्वज के बायीं तरफ यूनियन जैक भी बना था।

चौथा ध्वज- साल 1921

साल 1921 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान विजयवाड़ा में इस ध्वज को अपनाया गया था। आंध्र प्रदेश के एक युवक ने सत्र के दौरान एक झंडा बनाकर महात्मा गांधी को दिया था। यह ध्वज लाल और हरे रंग से बना था, जो हिंदू और मुसलमान का प्रतिनिधित्व करता था। वहीं गांधी जी के सुझाव पर देश के शेष समुदायों का प्रतिनिधित्व करने के लिए बीच में एक सफेद रंग की पट्टी और लगा दी गई थी। इसके अलावा राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए इसमें एक चलता हुआ चरखा भी बनाया गया था।

पांचवा ध्वज- साल 1931

साल 1931 में तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित हुआ। इस झंडे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरी पट्टी लगाई गई थी। बीच की सफेद पट्टी में चलता हुआ चरखा भी लगा था। यह ध्वज भारतीय राष्ट्रीय सेना का संग्राम चिह्न था।

छठा ध्वज- साल 1947

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का वर्तमान स्वरूप साल 1947 में ही सामने आया था। 22 जुलाई को पिंगली वेंकैया द्वारा तैयार किए गए ध्वज को संविधान सभा ने स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज माना था। इसमें तीन रंग थे। सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरा। इसमें सफेद पट्टी में अशोक चक्र लगाया गया था। यह ध्वज ही आज का हमारा राष्ट्रीय 'ध्वज तिरंगा' है।