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World Milk Day: जानें क्यों 1 जून को मनाया जाता है 'विश्व दुग्ध दिवस',वर्गीज कुरियन लाए थे व्हाइट क्रांति

Updated Jun 01, 2020 | 13:35 IST

World Milk Day why it Celebrate: दुनिया में दूध की महत्ता बताने के लिए  बीस साल पहले सबसे पहले दुग्ध दिवस की शुरूआत की गई थी, जिसे यूनाइटेड नेशन ने शुरू किया था।

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दूध और इसके उत्पादों के महत्व के बारे में लोगों में जागरुकता बढ़ाने के लिये इसे मनाया जाता है
मुख्य बातें
  • साल 2001 में यूनाइटेड नेशन ने पहले दुग्ध दिवस की शुरूआत की थी
  • दूध और इसके उत्पादों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिये इस खास दिन को सेलिब्रेट किया जाता है
  • वर्गीज कुरियन को 'फादर ऑफ़ द व्हाइट रेवोलुशन' कहा जाता है

नई दिल्ली: आज 1 जून को  विश्व दुग्ध दिवस (World Milk Day) है, बताते हैं कि बीस साल पहले दुग्ध दिवस की शुरूआत की गई थी। जिसे यूनाइटेड नेशन ने शुरू किया था, इसे शुरु करने का मकसद दुनिया में दूध की महत्ता बतानी थी,तमाम देशों के सहभागिता से 2001 में पहली बार विश्व दुग्ध दिवस मनाया गया था इसके बाद इस उत्सव में साल दर साल भाग लेने वाले देशों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।

दुग्ध कृषि (Dairy farming) या डेरी उद्योग या दुग्ध उद्योग, कृषि की एक श्रेणी है। यह पशुपालन से जुड़ा एक बहुत लोकप्रिय उद्यम है जिसके अंतर्गत दुग्ध उत्पादन, उसकी प्रोसेसिंग और खुदरा बिक्री के लिए किए जाने वाले कार्य आते हैं। इसके वास्ते गाय-भैंसों, बकरियों या कुछेक अन्य प्रकार के पशुधन के विकास का भी काम किया जाता है। 

वर्ल्ड मिल्क डे क्यों मनाते हैं

पूरे विश्व भर में दूध और दुग्ध उद्योग से संबंधित क्रिया-कलापों को प्रचार-प्रसार में हर वर्ष ध्यान केन्द्रित करने के लिये विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है। सभी के लिये दूध और इसके उत्पादों के महत्व के बारे में लोगों में जागरुकता बढ़ाने के लिये इसे मनाया जाता है।

भारत में 1 जून के विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है तो वहीं 26 नवंबर के राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन साल 1921 में श्वेत क्रांति के जनक व भारत में दुग्ध उत्पादन के जनक कहे जाने वाले वर्गीज कुरियन का जन्म हुआ था।

वर्गीज कुरियन देश में थे "फादर ऑफ़ द व्हाइट रेवोलुशन"

वर्गीज कुरियन एक प्रसिद्ध भारतीय सामाजिक उद्यमी थे और 'फादर ऑफ़ द व्हाइट रेवोलुशन' के नाम से अपने 'बिलियन लीटर आईडिया' (ऑपरेशन फ्लड) विश्व का सबसे बड़ा कृषि विकास कार्यक्रम के लिए आज भी मशहूर हैं। इस ऑपरेशन ने 1998 में भारत को अमरीका से भी ज़यादा तरक्की दी और दूध -अपूर्ण देश से दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बना दिया।

डेयरी खेती भारत की सबसे बड़ी आत्मनिर्भर उद्योग बन गयी। उन्होंने पदभार संभालकर भारत को खाद्य तेलों के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता दी। उन्होंने लगभग 30 संस्थाओं कि स्थापना की (AMUL, GCMMF, IRMA, NDDB) जो किसानों द्वारा प्रबंधित हैं और पेशेवरों द्वारा चलाये जा रहे हैं। गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (GCMMF), का संस्थापक अध्यक्ष होने के नाते कुरियन अमूल इंडिया के उत्पादों के सृजन के लिए जिम्मेदार थे। 

डॉ. कुरियन की अमूल से जुडी उपलब्धियों के परिणाम स्वरुप तब प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उन्हें 1965 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का संस्थापक अध्यक्ष नियुक्त किया तांकि वे राष्ट्रव्यापी अमूल के "आनंद मॉडल" को दोहरा सकें, विश्व में सहकारी आंदोलन के सबसे महानतम समर्थकों में से एक, डॉ॰ कुरियन ने भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में लाखों लोगों को गरीबी के जाल से बहार निकाला है।

भारत का दुग्ध उद्योग है खासा विस्तार लिए हुए

भारत गांवों में बसता है। हमारी 72 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ग्रामीण है तथा 60 प्रतिशत लोग कृषि व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। करीब 7 करोड़ कृषक परिवार में प्रत्येक दो ग्रामीण घरों में से एक डेरी उद्योग से जुड़े हैं। भारतीय दुग्ध उत्पादन से जुड़े महत्वपूर्ण सांख्यिकी आंकड़ों के अनुसार देश में 70 प्रतिशत दूध की आपूर्ति छोटे/ सीमांत/ भूमिहीन किसानों से होती है। 

भारत में कृषि भूमि की अपेक्षा गायों का ज्यादा समानता पूर्वक वितरण है। भारत की ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था को सुदृढ़ करने में डेरी-उद्योग की प्रमुख भूमिका है। देश में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में इसे मान्यता दी गई है। कृषि और डेरी-फार्मिंग के बीच एक परस्पर निर्भरता वाला संबंध है।