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'कवच' से और भी सुरक्षित होगी रेलवे, VIDEO में देखिए कैसे काम करता है रेलवे प्रोटेक्शन सिस्टम

Updated Jun 16, 2022 | 15:08 IST |

रेलवे प्रोटेक्शन सिस्टम , इस तकनीक के जरिए भारतीय रेलवे का सफर ज्यादा सुरक्षित होगा और जिससे दुर्घटनाएं रोकी जा सकेंगी। इसके तहत अब किसी भी आपात स्थिति में ट्रेन को हादसे का शिकार होने से रोका जा सकेगा।

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मुख्य बातें
  • रेलवे प्रोटेक्शन सिस्टम यानी कवच के जरिए रेल हादसों को रोका जा सकेगा
  • अब किसी भी आपात स्थिति में ट्रेन को हादसे का शिकार होने से रोका जा सकेगा
  • रेलवे की ओर से शुरुआत में 3,000 किलोमीटर पर इसे लगाने की योजना

नई दिल्ली: रेलवे अपने यात्रियों को सुरक्षित सफर मुहैया कराने की दिशा में लगातार कदम उठा रहा है। सुरक्षित यात्रा देने के मकसद से अब रेलवे ने एक नए तकनीक को इजात किया है जिसके तहत अब हादसे को रोका जा सके। इस तकनीक का नाम है रेलवे प्रोटेक्शन सिस्टम  जिसे भारतीय रेल ने नाम दिया 'कवच'।

इसके तहत अब किसी भी आपात स्थिति में ट्रेन को हादसे का शिकार होने से रोका जा सकेगा। इसका ट्रायल रेलवे की ओर से पहले भी किया जा चुका है और अब इस पर फाइनल मुहर लगा दी है और इसके लिए टेंडर भी मंगाए गए है। रेलवे की ओर से शुरुआत में 3,000 किलोमीटर पर इसे लगाने की योजना है और आगे इसका विस्तार भी किया जाएगा।

कैसे करता है काम?
आंकड़े ये भी बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में रेलवे में हादसों में कमी आई है और अब रेलवे की ओर से कोशिश यही की जा रही है कि हादसे की संख्या शून्य की जाए। इसी मकसद से 'कवच' तकनीक पर काम किया जा रहा है। अगर कोई भी इमरजेंसी आ जाती है और ट्रेन का सिग्नल लाल होता है तो उस स्थिति में ट्रेन में लगा 'कवच' सिस्टम एक्टिवेट हो जाएगा और खतरे के दौरान रेड सिग्नल पार करने से ट्रेन को रोकेगा। इसके अलावा अगर ट्रेन की स्पीड तय गति से ज्यादा हो जाती है तो भी ये सिस्टम एक्टिवेट होगा और ट्रेन में ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएगा।

इस सिस्टम के जरिए ट्रेनों की लाइव मॉनिटरिंग होती रहेगी और अगर किसी भी सूरत में दो ट्रेन एक ही पटरी पर आमने सामने आ जाती है तो सिस्टम एक्टिवेट हो जाएगा और ट्रेन को ऑटोमेटिक रोक लेगा। अगर बिलकुल आसान शब्दों में जानें तो ये एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस काएक सेट है। इसे रेलवे के पटरियों के साथ साथ इंजन में लगाया जाएगा। अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए ये डिवाइस आपात स्थिति में ट्रेन के ड्राइवर को अलर्ट भेजता रहेगा जिससे की किसी भी हादसे को रोका जा सके। कुल मिलाकर इस कवच यानी रेलवे प्रोटेक्शन सिस्टम  को लगाने का मकसद है ट्रेन ऑपरेशंस को फुल प्रूफ सिक्योरिटी देना।

किन रूट पर होगा इस्तेमाल?
इस सिस्टम का ट्रायल भी हो चुका है और रेलवे इसे बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। इसकी शुरुआत रेलवे की ओर से दिल्ली से हावड़ा रूट और दिल्ली से मुंबई रूट में किया जाएगा जिसे वक्त के साथ- साथ विस्तार किया जाएगा। रेलवे का लक्ष्य है कि पहली  बार इस सिस्टम को लगाने के बाद हर साल 3000 किमोमीटर का विस्तार किया जाए। फिलहाल रेलवे की प्लानिंग है कि रेलवे प्रोटेक्शन सिस्टम से 760  ट्रेनों को जोड़ा जाए। इसी के लिए 11 टंडर भी मंगवाए गए हैं।

इस कवच सिस्टम को लगाने के पटरियों के साथ- साथ ट्रेन के इंजन में भी लगाया जाएगा। पटरियों के साथ इसके रिसीवर होगा और ट्रेन के इंजन के अंदर ट्रांसमीटर लगाया जाएगा जिससे की ट्रेन की असल लोकेशन पता चलती रहै। अगर बात करें इसके होने वाले खक्च की तो रेलवे की ओर से अनुमान लगाया गया है कि इसे लगाने में हर एक किलोमीटर की लागत करीब 20 लाख रुपए आएगी और हर एक रेलवे इंजन में इसे इंस्टाल करने में 60 लाख रुपए का खर्च आएगा। शुरुआती चरण के लिए इसके लिए 40 से 50 करोड़ का बजट तय किया गया है लेकिन आगे इसे धीरे- धीरे बढ़ाया जाएगा।

(अशेष गौरव दुबे की रिपोर्ट)