- सीमा पर तनाव के बाद भारत ने टिक टॉक सहित चीन के 59 ऐप पर लगाया बैन
- अमेरिका भी चीन के सोशल मीडिया ऐप पर रोक लगाने पर कर रहा विचार
- विदेश मंत्री पोंपियो ने कहा कि चीन के साथ अब अलग तरीके से निपटना होगा
वाशिंगटन : टिक टॉक पर बैन लगाने के मामले में भारत के बाद अब अमेरिका चीन को झटका देने की तैयारी कर रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाने के बारे में स्पष्ट संकेत दिया है। पोंपियो ने कहा है कि टिक टॉक सहित चीन के सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने के बारे में अमरिका 'निश्चित रूप से विचार' कर रहा है। सीमा पर तनाव को देखते हुए भारत ने टिक टॉक, यूसी ब्राउजर, शेयर इट सहित चीन के59 ऐप पर प्रतिबंध लगाए हैं।
'बैन लगाने के बारे में हम निश्चित रूप से सोच रहे'
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक पोंपियो ने एक साक्षात्कार में कहा, 'मैं नहीं चाहता कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने मुझे कमरे से उठकर बाहर जाने के लिए कहा जाए लेकिन ऐप पर प्रतिबंध लगाने के बारे में हम निश्चित रूप से विचार कर रहे हैं।' भारत ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर चीन के 59 ऐप पर प्रतिबंध लगाए हैं। इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय टिक टॉक है। भारत सरकार का यह कदम चीन को एक झटके की तरह लगा है। भारत में एप्पल और गूगल के एलएलसी एप स्टोर से ये सभी 59 ऐप हटा दिए गए हैं।
अमेरिका के कई नेताओं ने भारत के कदम को सराहा
चीन के ऐप पर प्रतिबंध लगाने के कदम को अमेरिका में काफी सराहा गया है। विदेश मंत्री पोंपियो, रिपब्लिकन नेता निक्की हेले सहित कई सीनेटर्स भारत के इस कदम की तारीफ कर चुके हैं। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने आरोप लगाया कि चीन सरकार अपने हितों एवं उद्देश्यों के लिए टिक टॉक का इस्तेमाल कर रही है।
पोंपियो ने चीन के लिए अलग नीति पर दिया जोर
रिपोर्ट के मुताबिक पोंपियो ने चीन के साथ अलग नीति पर काम करने पर जोर दिया। इन्होंने कहा कि चीन के साथ अमेरिका को अब अलग तरीके से पेश आना होगा क्योंकि पुरानी नीतियां काम नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘यह सिद्धांत कि अधिक आर्थिक अवसर प्रदान करने से चीन के लोगों को अधिक राजनीतिक स्वतंत्रता और अधिक मौलिक अधिकार मिलेंगे, सही साबित नहीं हुआ। यह काम नहीं आया। मैं पुराने शासकों की आलोचना नहीं कर रहा हूं, हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि यह सफल नहीं हुआ और इसका मतलब है कि अमेरिका को दूसरा रास्ता अपनाना होगा।’