- बेरुत धमाके में 100 लोगों की मौत, बढ़ सकती है संख्या
- चार हजार लोग घायल, 250 किमी के दायरे में धरती कांप उठी
- परमाणु विस्फोट जैसा धुएं का गुबार उठा, बेरुत के गवर्नर को हिरोशिमा की आई याद
नई दिल्ली। बेरुत में मंगलवार की रात हजारों लोगों के लिए काली रात साबित हुई। बेरुत का तटीय इलाका आम दिनों की तरह गुलजार था। लेकिन शायद ही किसी को पता हो कि कुछ ही पल में सबकुछ बदल जाएगा। तटीय इलाके में पहला धमाका होता है और धुएं का गुबार जिस शक्ल को अख्तियार करता है वो जापान के हिरोशिमा की याद दिला देता है। तटीय इलाके के विस्फोट के तुरंत बाद शहर के अंदर वाले हिस्से में भी धमाका होता है। इस ब्लास्ट में अभी तक 100 लोगों की मौत हो चुकी है और चार हजार से अधिक लोग घायल हैं।
जार्डन को लगा भूकंप की दस्तक
बेरुत प्रशासन का कहना है कि मरने वाले और घायलों की संख्या में इजाफा हो सकता है। धमाके से पहले आम दिनों की तरह जो जिंदगी चल रही थी अब वैसा कुछ भी नहीं है। दफ्तर, दुकान और मकान सबकुछ ध्वस्त हो चुके हैं। अस्पतालों में जगह की कमी है तो मरीजों के लिए तीमारदार नहीं हैं। बेरुत के गवर्नर मारव आबरेद गिली की आंखों में आंसू है और वो कहते हैं कि उन्हें कुछ वैसा ही महसूस हुआ था जो हिरोशिमा और नागासाकी में हुआ था। ऐसी तबाही उन्होंने इससे पहले नहीं देखी थी। धमाके की वजह से करीब 250 किमी की धरती कांप उठी। जार्डन के सिस्मोलॉजिस्ट का कहना है कि जैसे कम तीव्रता वाले धमाकों के बाद जमीन में कंपन होता है कुछ वैसा ही रिकॉर्ड किया गया।
जापान के हिरोशिमा से हुई तुलना
बेरुत धमाकों के लिए कौन जिम्मेदार है अभी तक पता नहीं चल सका है। क्या यह किसी तरह का आतंकी हमला है या सिर्फ हादसा जांच का विषय है। दरअसल कुछ लोगों का मानना है कि जिस जगह धमाके हुए वहां हजारों किग्रा अमोनियम नाइट्रेट था और उसका उपयोग विस्फोटकों में होता है। लेकिन कुछ लोग इजरायल का इसमें हाथ बता रहे हैं। अब इन दोनों तरह की थ्योरी में सच क्या है यह जांच के बाद ही पता चल सकेगा। लेकिन यहां जानना जरूरी है कि जापान के हिरोशिमा में क्या कुछ हुआ था।
6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने हिरोशिमा पर गिराया था एटम बम
75 साल पहेल हिरोशिमा पर अमेरिका ने घातक परमाणु हमला किया था। उसके तीन दिन बाद यानी 9 अगस्त को अमेरिका ने नागासाकी (Nagasaki) शहर पर दूसरा एटम बम गिराया । इन दोनों परमाणु हमलों में जापान के लाखों लोगों के घर बिल्कुल तबाह हो गए। इस दौरान लाखों लोग मारे गए। परमाणु हमले से जो तात्कालिक असर हुआ वो तो अपने जगह पर थी। लेकिन उसका असर आज भी जापान के लोग भुगत रहे हैं। इस अमानवीय हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन की प्रक्रिया तेज हुई।