भोपाल: मध्यप्रदेश की राजधानी में कोरोना के एक मरीज को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भेजने पर उसकी मौत हो गई। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी अविनाश लवानिया ने मैजेस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। जांच अपर जिला मजिस्ट्रेट सतीश कुमार द्वारा की जाएगी।बताया गया है कि एक मरीज को पिछले दिनों पीपुल्स जनरल अस्पताल से कोविड अस्पताल के लिए भेजा गया, मगर उसे रास्ते में ही छोड़ा गया, उसके बाद मरीज को फिर उसी अस्पताल लाया गया। इस दौरान मरीज की मौत हो गई।
आधिकारिक तौर दी गई जानकारी के अनुसार, कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी अविनाश लवानिया ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। जांच अपर जिला मजिस्ट्रेट सतीश कुमार द्वारा की जाएगी और इसके लिए बिंदु भी तय किए गए हैं। इसके मुताबिक, यदि रोगी 23 जून से पीपुल्स जनरल हॉस्पिटल में भर्ती था, तो ऐसी कौन-सी परिस्थिति उत्पन्न हुई कि उसे अन्य अस्पताल में रेफर करने का निर्णय लिया गया।
क्या अन्य अस्पताल में रेफर करने से पहले रोगी के परिवार को मौजूदा स्थिति की पूरी जानकारी दी गई थी एवं मरीज की शिफ्टिंग के लिए सहमति प्राप्त की गई थी।जांच इस बात की भी होगी कि क्या मरीज को शिफ्ट करते समय ऐसे रेफर एवं ट्रांसफर करने के लिए समय-समय पर जारी नियमों एवं प्रोटोकॉल का पालन किया गया था।
किन कारणों से मरीज को एम्बुलेंस से वापस लाने की स्थिति निर्मित हुई थी, किन परिस्थितियों में रोगी की मृत्यु हुई, इसके लिए कौन जिम्मेदार है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि कोरोना के गंभीर मरीज को पीपुल्स अस्पताल से चिरायु अस्पताल के लिए रेफर किया गया, लगभग दो घंटे बाद में चिरायु अस्पताल के द्वारा पीपुल्स अस्पताल के गेट पर छोड़ दिया गया।
यह अमानवीयता का प्रतीक है। अस्पताल की लापरवाही के कारण उसकी मौत हो गई। इस घटना के लिए प्रशासन और अस्पताल दोनों जिम्मेदार हैं। कांग्रेस के आरोपों के संदर्भ में आईएएनएस ने चिरायु अस्पताल के प्रबंधन से संपर्क करने की कोशिश की, मगर संपर्क नहीं हो पाया।
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