किसानों को राहत देने का फैसला, केंद्रीय कैबिनेट ने गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी करने की दी मंजूरी, VIDEO

केंद्रीय कैबिनेट ने किसानों को राहत देने के लिए वर्ष 2020- 21 के लिए गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी की मंजूरी दी है।

Decision to provide relief to farmers, Union Cabinet approves increase in sugarcane price, VIDEO
गन्ना किसानों को राहत देने का फैसला 
मुख्य बातें
  • केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में किसानों को राहत दी गई
  • गन्ने के दाम में बढ़ोतरी का फैसला लिया गया
  • एक करोड़ गन्ना किसानों को फायदा होगा

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार (19 अगस्त) को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। इस बैठक में गन्ना किसानों को राहत देने के लिए का फैसला लिया गया। केंद्रीय कैबिनेट ने वर्ष 2020- 21 के लिए गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य को 10 रुपए बढ़ाकर 285 रुपए प्रति क्विंटल करने की मंजूरी दी। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 1 करोड़ गन्ना किसानों के लिए लाभकारी मूल्य बढ़ाकर 285 रुपए प्रति क्विंटल निश्चित हुआ है, अगर रिकवरी 9.5% या उससे भी कम रहती है तो भी गन्ना किसानों को संरक्षण देते हुए 270 रुपए दाम मिलेगा।

यह दाम गन्ने के अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले नए मार्केटिंग सत्र के लिए तय किया गया है। कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। बैठक में गन्ने का 2020- 21 (अक्टूबर- सितंबर) विपणन वर्ष के लिये एफआरपी दाम 10 रुपये क्विंटल बढ़ाने को मंजूरी दी गई।  सीसीईए ने खाद्य मंत्रालय के इस संबंध में दिए गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। मंत्रालय ने अगले मार्केटिंग सत्र के लिए गन्ने का एफआरपी 275 रुपए से बढ़ाकर 285 रुपए क्विंटल करने का प्रस्ताव दिया था।

गन्ना सीजन 2020-21 के लिए एफआरपी 10% की रिकवरी के आधार पर 285 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। रिकवरी में 10% से अधिक प्रत्येक 0.1% की वृद्धि के लिए प्रति क्विंटल 2.85 रुपए का प्रीमियम प्रदान करने तथा प्रत्‍येक रिकवरी में 0.1% की कमी पर एफआरपी में 2.85 रुपए प्रति क्विंटल की दर से कमी करने का प्रावधान किया गया है। यह व्‍यवस्‍था ऐसी चीनी मिलों के लिए है जिनकी रिकवरी 10% से कम लेकिन 9.5% से अधिक है। हालांकि ऐसी चीनी मिलों के लिए जिनकी रिकवरी 9.5% या उससे कम है एफआरपी 270.75 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है

कैबिनेट समिति का यह फैसला कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश के मुताबिक है। सीएसीपी सरकार को प्रमुख कृषि उत्पादों के दाम को लेकर सलाह देने वाली सांविधिक संस्था है। एफआरपी को गन्ना (नियंत्रण) आदेश 1966 के तहत तय किया जाता है। यह गन्ने का न्यूनतम मूल्य होता है जिसे चीनी मिलों को गन्ना उत्पादक किसानों को भुगतान करना होता है।

सरकार का अनुमान है कि चालू मार्केटिंग सत्र में गन्ने का कुल उत्पादन 280 से 290 लाख टन रह सकता है। गन्ने का चालू मार्केटिंग सत्र अगले महीने समाप्त हो रहा है। पिछले साल 2018- 19 में देश में 331 लाख टन गन्ने का उत्पादन हुआ था। महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की खेती में कमी आने से चालू मार्केटिंग सत्र में उत्पादन कम रहने का अनुमान है।


 

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