नई दिल्ली। शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की 37वीं बैठक हुई जिसमें कुछ अहम चर्चा हुई है। चर्चा के केंद्र में था कि क्या फ्रोजेन पराठा पर जीएसटी लगना चाहिए। रोटी और पराठा एक जैसे ह्वीट प्रोडक्ट नहीं है बल्कि फ्रोजेन पराठा रोटी से अलग है लिहाजा जीएसटी लगनी चाहिए और उसकी दर 18 फीसद होना चाहिए। लेकिन इस तरह की चर्चा मात्र से दक्षिण और उत्तर भारत दोनों जगहों पर पराठा के फैन्स परेशान हो गये। इस विषय में कर्नाटक सरकार की तरफ से विचार आया कि फ्रोजेन और प्रिजर्व्ड पराठा की सेल्फ लाइफ 3 से सात दिन की होती है और बड़ी बात यह है कि पराठा, प्लेन रोटी नहीं है लिहाजा 18 फीसद जीएसटी लगनी चाहिए।
जीएसटी काउंसिल की 37वीं बैठक में चर्चा
सरकारी सूत्रों का कहना है कि 37वीं बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई और सहमति बनी कि संगठित क्षेत्र फ्रोजेन और प्रिजर्व्ड पराठा पर जीएसटी में कमी न करने पर सहमति बनी। बैठक में शामिल सदस्यों का कहना था कि फ्रोजेन पराठा को आमतौर ऊंची कीमत पर बेचा जाता है। यह ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसे समाज का वो तबका इस्तेमाल करता है जो संपन्न है औक उस कीमत को वहन कर सकता है। बड़ी बात यह है कि बिस्किट, पैस्ट्रीज और केक पर 18 फीसद जीएसी पहले से ही लगी हुई है। इसलिए फ्रोजेन पराठा को जीएसटी काउंसिल ने इस श्रेणी में लाया।
फ्रोजेन पराठा रईसों का खाना
सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस तरह की प्रैक्टिस पूरे विश्न में लागू है। प्रासेस्ड फूड आइटम को महंगी कीमत पर बेचा जाता है। उदाहरण के लिए दूध, टैक्स फ्री है, लेकिन टेट्रा पैक्ड दूध पर 5 फीसद जीएसटी लगता है, जबकि कंडेस्ड मिल्क 12 फीसद की कैटेगरी में है। बड़ी एफएमसीजी कंपनियां महंगे दर पर इन सामनों को बेचती हैं और आमतौर पर ऐसे प्रोडक्ट का इस्तेमाल समाज का संपन्न तबका ही करता है, यही वजह है कि इन सामनों पर दुनिया भर में ज्यादा टैक्स लगता है।
इसके साथ ही कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु ,सिंघवी भी मोदी सरकार पर निशाना साधने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि यह सरकार दिन प्रतिदिन टैक्स रिजीम को और जटिल बनाती जा रही है।
प्लेन रोटी या पराठा जिसे हम होटलों में खाते हैं या घर ले जाते हैं उस पर 5 फीसद जीएसटी लगती है। 18 फीसद टैक्स लगाए जाने का विचार सिर्फ फ्रोजेन पराठा पर है। इस संबंध में एक बात पूरी तरह साफ है कि रेस्टोरेंट में परोसे जाने वाले पराठा पर लगे टैक्स में किसी तरह का बदलाव नहीं है।
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