Aadhaar and Voter Linking: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने जैसे प्रमुख चुनावी सुधारों को लाने के लिए चुनावी कानून में प्रस्तावित संशोधनों को मंजूरी दे ही है। इस सुधार का मकसद मतदाता सूची में फर्जी और डुप्लिकेट प्रविष्टियों को हटाना है। सूत्रों के मुातबिक एक और सुधार लागू करने की मांग की गई है जिसमें अगले साल से नए वोटरों को वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए एक साल में चार बार मौका दिया जाएगा. अभी एक जनवरी या उससे पहले 18 वर्ष के होने वालों को मतदाता के रूप में पंजीकरण की अनुमति दी जाती है।
सूत्रों ने कहा कि आरपी अधिनियम में संशोधन के लिए विधेयक में चुनावी पंजीकरण अधिकारी को मौजूदा और साथ ही नए मतदाताओं की आधार संख्या प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाने का प्रस्ताव है। फिलहाल इसे ऐच्छिक बनाया जाएगा। आधार संख्या का उपयोग केवल मतदाता प्रमाणीकरण के उद्देश्य से किया जाएगा। जबकि नए-पात्र मतदाता के पंजीकरण के लिए कई तिथियां है। जैसे- 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर की चार तिथियों को एक वर्ष में मंजूरी दे दी है, यानी वोटर बनने के लिए अब साल में चार तारीखों को कटऑफ माना जाएगा। चुनाव आयोग ने सरकार को बताया था कि एक जनवरी के कटऑफ डेट के चलते वोटर लिस्ट की कवायद से कई युवा वंचित रह जाते थे।
साथ ही, आरपी अधिनियम की धारा 160(1)ए में प्रस्तावित संशोधन से चुनाव आयोग को केंद्रीय अर्धसैनिक बलों, उसके कर्मचारियों और पर्यवेक्षकों के आवास सहित किसी भी उद्देश्य के लिए परिसर की आवश्यकता का अधिकार मिल जाएगा। चुनाव आयोग ने 2015 में अपने राष्ट्रीय मतदाता सूची शोधन और प्रमाणीकरण कार्यक्रम (एनईआरपीएपी) के हिस्से के रूप में मतदाता कार्ड और आधार संख्या को जोड़ने का काम शुरू किया था। बाद में चुनाव आयोग ने आधार के उपयोग को प्रतिबंधित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए कार्यक्रम को छोड़ने का फैसला किया था।
इसके अलावा केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने रुपे डेबिट कार्ड और कम राशि वाले [2,000 रुपये तक] भीम-यूपीआई लेन-देन [उपयोग करने वाले व्यक्ति-से-व्यापारी (पी2एम)] को बढ़ावा देने के लिए एक प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत सरकार द्वारा अधिग्रहण करने वाले बैंकों को रुपे डेबिट कार्ड और कम मूल्य वाले भीम-यूपीआई भुगतान के माध्यम से किए गए लेन-देने के मूल्य (पी2एम) का प्रतिशत भुगतान करके प्रोत्साहित किया जाएगा। इस योजना का 1 अप्रैल, 2021 से प्रभावी एक वर्ष की अवधि के लिए अनुमानित वित्तीय परिव्यय 1,300 करोड़ रुपये है।
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