नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय ने केंद्र और राज्य सरकार कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में संशोधन की मांग को खारिज कर दिया है। मंत्रालय का कहना है कि योजना के तहत अनुकूलतम रिटर्न को लेकर कोष का निवेश सोच-समझकर किया जाता है। उसने कहा कि बदलाव उचित नहीं होगा। ‘नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मनजीत सिंह पटेल ने इस संदर्भ मं प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को अनुरोध पत्र दिया था। उसके जवाब में वित्त मंत्रालय ने उक्त बातें कही। पत्र में एनपीएस पर अनिश्चित रिटर्न को देखते हुए पुरानी पेंशन योजना को लाने की मांग की गई थी। पटेल ने एनपीएस में संशोधन की मांग की थी ताकि जो योगदान राशि है, उसके बड़े हिस्से का उपयोग सरकार कोविड-19 के खिलाफ मुहिम में कर सके। फिलहाल यह राशि बाजार में निवेश की जा रही है।
वित्त मंत्रालय ने एक आदेश में कहा कि एनपीएस पर रिटर्न को लेकर अनिश्चितता के संदर्भ में यह कहना है कि हालांकि, यह बाजार आधारित है लेकिन कोष में जमा राशि को सोच-समझकर निवेश किया जाता है ताकि अंशधारकों को अनुकूलतम रिटर्न सुनिश्चित हो सके। आदेश की प्रति पटेल को भी उपलब्ध करायी गई है। कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन मंत्रालय की तरफ से आये पत्र के जवाब में उसने कहा कि एनपीएस के तहत निवेश अलग-अलग जगहों पर किया जाता है।
मंत्रालय के अनुसार, वास्तव में केंद्र सरकार की प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति (1.45 लाख करोड़ रुपए) और राज्य सरकार की (2.20 लाख करोड़ रुपए) प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति में से पेंशन कोष के जरिए करीब 50 प्रतिशत राशि सरकारी प्रतिभूतियों में, करीब 36 प्रतिशत कंपनी बॉन्ड में और केवल 10 प्रतिशत शेयर बाजार में लगाया गया है। शेष पैसा मुद्रा बाजार उत्पादों में लगाया जाता है। उसने कहा कि योजना ने शुरूआत से अबतक करीब 9.5 प्रतिशत रिटर्न दिया है। आदेश के अनुसार इतना ही नहीं पहले स्तर पर एनपीएस ट्रस्ट लगातार निवेश पर नजर रखता है और इसका नियमन पीएफआरडीए कानून के तहत पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) करता है। बाजार की स्थिति के अनुसार निवेश दिशानिर्देशों की समीक्षा भी समय-समय पर की जाती है।
बाजार में मौजूदा उतार-चढ़ाव के बारे में मंत्रालय ने कहा कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का प्रभाव दीर्घकालीन में नहीं रहता। पेंशन जैसे दीर्घकालीन उत्पादों के लिए जहां निवेश अवधि 30 से 40 साल है, वहां इसका कोई मतलब नहीं है। पटेल के इस सुझाव पर कि कर्मचारियों के योगदान के बराबर एनपीएस में जमा राशि को सरकारी खजाने में हस्तांतरित किया जा सकता है और उसे सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) घोषित किया जा सकता है, वित्त मंत्रालय ने कहा कि पीएफआरडीए कानून 2013 और पीएफआरडीए (बाहर होना और निकासी) नियमन, 2015 के तहत यह कानूनी रूप से उचित नहीं है।
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