मौजूदा कोविड-19 संकट के कारण कई लोगों की आमदनी या नौकरी चली गई है या जाने वाली है। कुछ लोगों के वेतन में कटौती करने या बिना वेतन छुट्टी पर जाने का सुझाव दिया गया है। यह सिर्फ एक हेल्थ इमरजेंसी ही नहीं बल्कि एक फाइनेंसियल इमरजेंसी भी है। ऐसी परिस्थिति में, आप अपने फाइनेंस को मजबूत करने के लिए कौन-कौन से उपाय कर सकते हैं? आइए कुछ ऑप्शंस पर नजर डालते हैं।
यदि आपकी नौकरी चली गई है या वेतन में कटौती हुई है तो तुरंत अपने बजट पर फिर से गौर करें। आपको समझना होगा कि आपका पुराना बजट इन नई परिस्थितियों में काम नहीं करेगा। लाइफस्टाइल में जल्दी से जरूरी बदलाव करें। कैश रिजर्व तैयार करने पर ध्यान दें। कम खर्चीली जिंदगी जीयें। अपने मनमौजी खर्च को कम करें। इसका मतलब है कि अब आपको इस संकट से पहले की तरह पैसे खर्च करने से बचना होगा। अपने सभी खर्च और आमदनी की लिस्ट बनाएं। उसके बाद, अपने खर्च की प्रायोरिटी सेट करें। सख्ती बरतें - उन खर्चों से बचें जो आपकी जिंदगी के लिए जरूरी नहीं हैं। आपको कुछ समय तक अपनी सेविंग्स से काम चलाना होगा क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था को सुधरने में समय लगेगा। यदि आपके पास 6-8 महीने के लिए इमरजेंसी फंड है, और 3-4 महीने बाद भी आमदनी नहीं होने वाली है, तो अपने खर्च में और कटौती करें। ऐसा करने का कोई-न-कोई तरीका जरूर होगा। उदाहरण के लिए, आप एक छोटे घर में शिफ्ट कर सकते हैं या ज्यादातर घर पर बनी चीजें खा सकते हैं।
आपकी नौकरी या आमदनी बंद होने पर भी आपका हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस बंद नहीं होना चाहिए। क्योंकि एक वैश्विक-महामारी के दौरान, आपकी सेहत और जान का खतरा बहुत बढ़ जाता है। समय पर प्रीमियम देते रहें। आप अपनी देनदारी को मध्यम रखने के लिए प्रीमियम का मंथली पेमेंट कर सकते हैं। यदि आपने स्टैंडअलोन हेल्थ पॉलिसी नहीं ली थी और अपने एम्पलॉयर के हेल्थ इंश्योरेंस पर निर्भर थे तो नौकरी जाने पर उसका कवरेज भी चला जाएगा। इसलिए, हमेशा अपने ख़रीदे हेल्थ इंश्योरेंस के भरोसे रहें। यदि आपकी नौकरी छूटने वाली है तो इंश्योरेंस कंपनी को प्रीमियम देकर अपनी कंपनी की ग्रुप पॉलिसी को एक व्यक्तिगत रिटेल पॉलिसी में बदल लें ताकि आपकी कंपनी पॉलिसी पर मिलने वाला बेनिफिट, नौकरी छूटने के बाद भी मिल सके, और आपको एक नई पॉलिसी खरीदने पर फिर से वेटिंग पीरियड का सामना करना नहीं पड़ेगा।
नौकरी छूटने पर आप कर्ज के जाल में फंस सकते हैं। यदि आपके पास इमरजेंसी फंड नहीं है या नौकरी छूटने के बाद वह ख़त्म हो गया है तो आपको रोजमर्रा के खर्च के लिए उधार लेना पड़ सकता है। जरूरत से ज्यादा उधार न लें - ख़ास तौर पर ऐसी परिस्थिति में। ज्यादा इंटरेस्ट वाले कर्ज न लें। अनेक लोन लेने के बजाय, एक ऐसा लोन लें जिसकी लागत कम हो और जो आपकी जरूरत पूरी कर सके। यदि आपने ट्रेडिशनल इंश्योरेंस पॉलिसी या PPF होल्डिंग्स जैसे इन्वेस्टमेंट्स कर रखे हैं तो आप उन्हें गिरवी रखकर उनके बदले लोन (लोन अगेंस्ट सिक्योरिटीज या LAS) ले सकते हैं। LAS का इंटरेस्ट रेट, पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड लिंक्ड लोन जैसे अनसिक्योर्ड लोन की तुलना में कम होता है। आप लोन अगेंस्ट FD या लोन अगेंस्ट गोल्ड जैसे ऑप्शंस की मदद भी ले सकते हैं। अपनी जरूरत से थोड़ा लम्बे समय के लिए लोन लें। इससे आपको अपनी EMI को मैनेज करने में काफी मदद मिलेगी। ऐसी जगहों से पैसे उधार न लें जहाँ ज्यादा इंटरेस्ट लगता हो। रेगुलेटेड उधारदाताओं से उधार लें।
एक अच्छी नौकरी मिलने तक, फ्रीलैंस वर्क या पार्ट-टाइम नौकरी करें। एक छोटा-सा फाइनेंसियल सपोर्ट भी, गंभीर फाइनेंसियल परेशानी से बचने में आपकी मदद कर सकता है यदि फुल-टाइम नौकरी ढूँढने में ज्यादा समय लग रहा हो। पार्ट-टाइम नौकरी उन लोगों के लिए भी मददगार है जिनके वेतन में कटौती हुई है। आप अपने खाली समय में अपने शौक या विशेषज्ञता को भुनाने के तरीके भी ढूंढ सकते हैं।
नौकरी छूटने के बाद पैसे की तंगी से बचने के लिए कुछ समय के लिए अपना इन्वेस्टमेंट रोक दें। इससे आपके हाथ में अपने रोजमर्रा के खर्च के लिए ज्यादा पैसे रहेंगे। नौकरी मिलने के बाद, फिर से इन्वेस्टमेंट शुरू कर दें और छूटे हुए इन्वेस्टमेंट की भरपाई करने की भी कोशिश करें। फुल-टाइम नौकरी और आमदनी की गैर-मौजूदगी में, बड़े फाइनेंसियल फैसलें न लें जिनके गंभीर परिणाम हो सकते हों। रेगुलर इनकम न होने पर क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल न करें। ख़ास तौर पर ATM से पैसे निकालने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बिल्कुल न करें क्योंकि इस पर बहुत ज्यादा इंटरेस्ट और चार्ज लगता है। शांत रहें और समझदारी से अपने पास मौजूद कैश का इस्तेमाल करके अपने सामने मौजूद अवसरों का भरपूर लाभ उठाने पर ध्यान दें।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।)
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