नई दिल्ली: संकट के समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से राहत पैकेज का ऐलान किए जाने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण विस्तार से इस बारे में जानकारी दे रही हैं। पिछली दो प्रेस कॉन्फ्रेंस में 13 और 14 मई को उन्होंने एमएसएमई सेक्टर, गरीब और मजदूरों से जुड़े मामलों में जानकारी दी थी कि कहां कितना पैसा खर्च किया जाएगा। अब तीसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में विशेष रूप से खेती और किसान कल्याण पर जोर हैं।
वित्त मंत्री ने प्रेस ब्रीफिंग की शुरुआत करते हुए बताया कि वह शुक्रवार को अर्थव्यवस्था को राहत देने के उपायों से जुड़ीं 11 घोषणाएं करने आई हैं। इसमें 8 बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, क्षमता और बेहतर लॉजिस्टिक के निर्माण से संबंधित, जबकि बाकी 3 शासन और प्रशासनिक सुधारों से संबंधित ऐलान शामिल हैं। आइए एक नजर डालते हैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से की गईं अहम घोषणाओं पर।
1955 के पुराने कानून में बदलाव: किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति के लिए 'आवश्यक वस्तु अधिनियम' में संशोधन किया जाएगा। कृषि उत्पादों में अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दालें, प्याज और आलू को डी-रेगुलेट किया जाएगा। इसका मतलब फसल बेचने के मामले में किसान के लिए सीमाओं से बाहर निकलेंगे। वह आसपास की मंडियों में ही अपनी उपज बेचने को बाध्य नहीं होंगे।
किसान जहां ठीक समझे अपनी फसल को बेच सकेगा। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगी कि कोई किसानों का उत्पीड़न न कर सके। वित्त मंत्री ने कहा कि अन्य व्यापारिक क्षेत्रों के लिए ऐसी कोई बंदिश नहीं है कि वह अपने उत्पाद सीमित क्षेत्र में ही बेचेंगे।
आकर्षक मूल्य पर उपज बेच पाएंगे किसान: वित्त मंत्री ने कहा किसानों को आकर्षक मूल्य पर उपज बेचने के लिए पर्याप्त विकल्प प्रदान करने के लिए एक केंद्रीय कानून तैयार किया जाएगा, बाधा रहित अंतरराज्यीय व्यापार और कृषि उपज के ई-ट्रेडिंग के लिए रूपरेखा तैयार की जाएगी।
मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़: एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्रों, संग्रह, विपणन और भंडारण केंद्रों और मूल्य संवर्धन सुविधाओं से संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 500 करोड़ रुपए की योजना को सरकार लागू करेगी। इससे 2 लाख मधुमक्खी पालनकर्ताओं की आय में वृद्धि होगी।
पशु पालन और मत्स्य पालन: पशु पालन क्षेत्र में जानवरों के पैर और मुंह रोग, ब्रुसेलोसिस के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम शुरु किया जा रहा है, इसमें 13,343 करोड़ रुपए का कुल परिव्यय किया जाएगा। मवेशियों का टीकाकरण कराने की दिशा में सरकार कदम उठाएगी। 15,000 करोड़ रुपए के पशु पालन अवसंरचना विकास कोष की स्थापना की जाएगी।
पीएम मत्स्य संपदा योजना: सरकार ने समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन के विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपए की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना योजना शुरू की है। इस कार्यक्रम से 55 लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
बुनियादी कृषि ढांचे के लिए 1 लाख करोड़: किसानों के लिए कृषि बुनियादी ढांचे के लिए सरकार तुरंत 1 लाख करोड़ रुपए का एग्री-इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड तैयार करेगी। हर्बल खेती को बढ़ावा देने के लिए 4000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। अगले 2 वर्षों में 10,00,000 हेक्टेयर जमीन को इसके तहत कवर किया जाएगा।
लॉकडाउन अवधि के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 74,300 करोड़ रुपए से अधिक की खरीद की गई। पीएम किसान निधि में 18700 करोड़ रुपए का हस्तांतरण किया गया है। सरकार माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज (एमएफई) की औपचारिकता के लिए 10,000 करोड़ रुपए की योजना पेश करती है। यह योजना पीएम के 'ग्लोबल आउटरीच के साथ वोकल फॉर लोकल' के नजरिए को बढ़ावा देती है।
डेयरी उद्योग को राहत: COVID लॉकडाउन अवधि के दौरान, दूध की मांग 20-25% कम हो गई। 2020-21 के लिए डेयरी सहकारी समितियों को 2% प्रति वर्ष की दर से ब्याज में राहत देने की नई योजना बनाई गई है। योजना में 5000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त लिक्विडिटी दी जाएगी, इससे 2 करोड़ किसानों को लाभ होगा।
गौरतलब है कि बीते गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रवासी मजदूरों के लिए राहत भरे कदमों की घोषणा की थी। 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज में प्रवासी मजदूरों, छोटे किसानों, छोटे कारोबारियों एवं स्ट्रीट वेंडर्स (ठेले पर सब्जी बेचने वाले) को मदद पहुंचाने के लिए पहल की गई।
वित्त मंत्री ने गुरुवार को कहा कि अगले दो महीने तक सरकार सभी प्रवासी मजदूरों को मुफ्त खाद्य अनाज की आपूर्ति करेगी। साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड और शिशु मुद्रा लोन पर राहत देने को लेकर भी सरकार के कदमों की घोषणा की थी।
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