नई दिल्ली: कोविड -19 महामारी से जारी जंग के बीच MSME सेक्टर (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) को संकट से उबारने के लिए सरकार मदद का हाथ आगे बढ़ाने जा रही है। शुक्रवार को परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सरकारी क्रेडिट गारंटी के तहत बैंकों द्वारा छोटे व्यवसायों में लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का एक रिवॉल्विंग फंड स्थापित करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। सेक्टर को राहत देने के लिए यह कदम उठाया गया है।
एक एसोचैम वेबिनार में बोलते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फंड का उपयोग सरकार द्वारा संचालित संस्थाओं के साथ-साथ उद्योगों के छोटे व्यवसायों पर बकाया देय राशि का बोझ हटाने के लिए किया जाएगा।
5 लाख करोड़ का बकाया: खुद केंद्र और मिश्रित एजेंसियों के स्वामित्व व प्रबंधन का अनुमान है कि कॉरपोरेट भारत का लगभग 5 लाख करोड़ रुपए बकाया है। इन बकाया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा एमएसएमई पर बकाया है। इसके अलावा, बड़ी निजी कंपनियां MSMEs को बड़ी मात्रा में भुगतान करती हैं।
बीमा में इस्तेमाल होगा फंड: नितिन गडकरी ने कहा, 'हम इस फंड का बीमा करेंगे, सरकार प्रीमियम का भुगतान करेगी। हम ब्याज बोझ को साझा करने के लिए एक फॉर्मूला लेकर आएंगे...।' उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद प्रस्ताव को मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास भेजा जाएगा।
गडकरी ने यह भी कहा कि उन्होंने श्रम मंत्री संतोष गंगवार से इन छोटे व्यवसायों पर बढ़ते दबाव के कारण एमएसएमई के सामने आने वाले संकट को दूर करने के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के साथ 80,000 करोड़ रुपए का उपयोग करने के लिए कहा था ताकि अप्रैल के वेतन का भुगतान किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भी मंजूरी देनी होगी।
गौरतलब है कि बीते मार्च में, गडकरी ने कहा था कि सरकारी और निजी उपक्रमों का एमएसएमई पर लगभग 6 लाख करोड़ रुपए बकाया है, और साथ ही जानकारी दी थी कि सरकार तीन महीनों में भुगतान को सुनिश्चित करने के लिए एक कार्य योजना पर काम कर रही है।
MSMEs पहले से ही लिक्विडिटी की कमी से जूझ रहे थे, कोविड -19 महामारी ने उनकी समस्या को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार सरकार अपने वार्षिक राजस्व के आधार पर MSME को फिर से परिभाषित करने की योजना भी बना रही है। उन्होंने कहा कि इससे जीएसटी व्यवस्था बेहतर होगी, साथ ही कारोबार करने में आसानी होगी।
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