नई दिल्ली: रोशनी का त्योहार दिवाली एक ऐसा अवसर है जहां आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ नकदी या गिफ्टों का आदान-प्रदान करते हैं और अपने प्रियजनों के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। लेकिन, क्या आपने कभी इन उपहारों को इनकम टैक्स के नजरिए से सोचा है? आपके द्वारा प्राप्त गिफ्ट हमेशा टैक्स-फ्री नहीं हो सकते हैं। आपको उनमें से कुछ पर टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है।
हालांकि 1998 में गिफ्ट टैक्स अधिनियम को समाप्त कर दिया गया था, लेकिन दीवाली के दौरान प्राप्त सभी गिफ्ट टैक्स-फ्री नहीं हो सकते हैं। इनकम टैक्स (I-T) अधिनियम की धारा 2 (24) प्राप्त उपहारों से संबंधित है जो एक व्यक्ति की आय के रूप में मानी जाएगी, जबकि धारा 56 (2) टैक्सेशन और छूट दोनों से संबंधित है।
यदि किसी वित्तीय वर्ष के दौरान सभी स्रोतों से प्राप्त किसी भी रूप में सभी उपहारों का कुल मूल्य 50,000 रुपए से अधिक है, तो पूरी राशि बिना किसी छूट के टैक्स योग्य हो जाती है। हालांकि, जब तक सभी उपहारों का कुल जमा 50,000 रुपए से अधिक नहीं हो जाता है, तब तक प्राप्तकर्ता के लिए कोई टैक्स देयता नहीं है। सभी गिफ्ट चाहे नकद में मिले या गिफ्ट वाउचर के रूप में या दहलीज पर पहुंचने वाल हो।
खास रिश्तेदारों से मिले 50,000 रुपए तक के उपहारों को बाहर रखा गया है। ऐसे छूट के लिए रिश्तेदारों में पति/पत्नी, भाई और बहन शामिल हैं। इसमें जीवनसाथी के भाई-बहन भी शामिल हैं। इसमें रिश्तेदार के उन सभी व्यक्तियों को शामिल करते हैं जो प्राप्तकर्ता के वंशज हैं। उपरोक्त सभी व्यक्तियों के पति-पत्नी भी रिश्तेदारों की परिभाषा में शामिल हैं। हालांकि रिश्तेदारों की परिभाषा बहुत विशाल है फिर भी इसमें आपके सभी रिश्तेदार शामिल नहीं हैं।
मित्रों से प्राप्त दिवाली गिफ्टों को अन्य स्रोतों से आय के रूप में माना जाएगा और उसी के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा। हालांकि, वित्त वर्ष के दौरान कुल मिलाकर 50,000 रुपए तक के गिफ्ट (या तो दिवाली या किसी अन्य) को टैक्स से छूट प्राप्त है।
इनकम टैक्स अधिनियम के अनुसार अगर कोई नियोक्ता वित्तीय वर्ष के दौरान 5,000 रुपए से कम की राशि में किसी तरह का कोई गिफ्ट वाउचर देता है, तो यह पूरी तरह से छूट है। हालांकि, अगर गिफ्ट की राशि 5,000 रुपए से अधिक है, तो पूरी राशि को वेतन के हिस्से के रूप में माना जाता है और टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाता है।
बिजनेस या पेशे में लगे लोगों द्वारा प्राप्त सभी उपहारों का मूल्य, बिजनेस या पेशे पर ले जाने के दौरान किसी भी मूल सीमा के बिना व्यावसायिक आय के रूप में माना जाता है। हालांकि यह व्यवहार में किसी के द्वारा सभी उपहारों के मूल्य को सख्ती से ऑब्जर्व नहीं देखा गया है। तो, ड्राई फ्रूट और स्वीट बॉक्स जैसी चीजों को टैक्स में शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि इस तरह के गिफ्ट पेशे के अभ्यास को पूरा करने के दौरान प्राप्त रियायत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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