मुंबई: रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को पायलट आधार पर 'ऑफलाइन' यानी बिना इंटरनेट के कार्ड और मोबाइल के जरिये छोटी राशि के भुगतान की अनुमति दे दी। इसके तहत एक बार में 200 रुपये तक भुगतान की अनुमति होगी।रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसकी घोषणा की। इस पहल का मकसद उन जगहों पर भी डिजिटल लेन-देन के लिये ग्राहकों को प्रोत्साहित करना है, जहां इंटरनेट से संपर्क की कनेक्टिविटी कम है।
इस संदर्भ में जारी अधिसूचना के अनुसार पायलट योजना के अंतर्गत 'पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर' (पीएसओ)...बैंक और गैर-बैंक...ऑफलाइन डिजिटल भुगतान की पेशकश कर सकते हैं। यानी इस तरह से भुगतान के लिए इंटरनेट से सम्पर्क की जरूरत नहीं होगी। केंद्रीय बैंक की अधिसूचना के अनुसार पायलट योजना के तहत भुगतान कार्ड, वॉलेट या मोबाइल उपकरणों या अन्य किसी माध्यम से किया जा सकता है। इसके लिये किसी अन्य प्रकार के सत्यापन की जरूरत नहीं होगी।
इसमें एकल भुगतान की अधिकतम सीमा 200 रुपये होगी, हालांकि इसके जरिये किसी भी समय 2,000 रुपये तक कुल भुगतान की सीमा होगी। ‘ऑनलाइन’ तरीके से अतिरिक्त सत्यापन के साथ सीमा को पुन:निर्धारित किया जा सकता है।
पायलट योजना 31 मार्च, 2021 तक चलेगी
पायलट योजना से प्राप्त अनुभव के आधार पर आरबीआई इस संदर्भ में औपचारिक व्यवस्था स्थापित करने के बारे में निर्णय करेगा।आरबीआई के अनुसार, 'पीएसओ सौदा होते ही उपयोगकर्ताओं को लेन-देन राशि के बारे में वास्तविक आधार पर सूचना उपलब्ध कराएगा।' केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि 'पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर' (पीएसओ) को ऑनलाइन विवाद समाधान (ओडीआर) लागू करना होगा। डिजिटल लेन-देन बढ़ने के साथ विवाद और शिकायतें भी बढ़ी हैं।
डिजिटल भुगतान को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद
गवर्नर ने कहा, 'केंद्रीय बैंक इकाइयों को ‘ऑफलाइन भुगतान समाधान विकसित करने के लिये प्रोत्साहित करता रहा है। इसीलिए पायलट योजना के तहत उपयोगकर्ताओं के हितों, देनदारी सुरक्षा आदि का ध्यान रखते हुए 'ऑफलाइन' माध्यम से अंतर्निहित सुविधाओं के साथ छोटी राशि के भुगतान की अनुमति देने का प्रस्ताव है।' आरबीआई ने कहा कि खासकर दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट का अभाव या उसकी कम गति डिजिटल भुगतान के रास्ते में बड़ी बाधा है। इसको देखते हुए कार्ड, वॉलेट और मोबाइल उपकरणों के माध्यम से ऑफलाइन भुगतान का विकल्प उपलब्ध कराया जा रहा है जिससे डिजिटल भुगतान को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
इसमें शिकायतों के समाधान की यह व्यवस्था नियम आधारित और पारदर्शी होगी
इसमें मानवीय हस्तक्षेप नहीं होगा या अगर होगा भी तो बहुत कम। इस पहल का मकसद विवादों और शिकायतों का समय पर और प्रभावी तरीके से निपटान करना है।केंद्रीय बैंक के अनुसार, '..पीएसओ को चरणबद्ध तरीके से ओडीआर व्यवस्था स्थापित करनी होगी। इसकी शुरूआत पीएसओ को अपने संबंधित भुगतान प्रणाली में विफल लेन-देन से करनी होगी।' इस बारे में प्राप्त अनुभव के आधार पर ओडीआर व्यवस्था अन्य प्रकार के विवाद और शिकायतों में लागू की जाएगी।ओडीआर को लेकर जारी अधिसूचना के अनुसार ग्राहकों को विवाद या शिकायतें दर्ज कराने को लेकर एक या एक से अधिक माध्यम उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इसमें वेब आधारित या कागज आधारित शिकायत फार्म, आईवीआर, मोबाइल एप्लीकेशन, कॉल सेंटर, एसएमएस आदि शामिल हैं।
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