सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में एक हाउसिंग प्रोजेक्ट में रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक द्वारा बनाए गए दो 40-मंजिला टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने नियमों का उल्लंघन कर निर्माण करने पर गिराने के निर्देश दिए और नोएडा ऑथरिटी की निगरानी में 3 माह के भीतर तोड़ने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुपरटेक के, 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला दो टावरों का निर्माण नोएडा ऑथरिटी के साथ सांठगांठ कर किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को आदेश दिया कि नोएडा के इन टावरों के सभी फ्लैट मालिकों को 12% ब्याज के साथ पैसे वापस करें। साथ ही रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को दो टावरों के निर्माण से हुई परेशानी के लिए दो करोड़ रुपए का भुगतान किया जाए। अपने फैसले में, सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि नोएडा में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट में करीब 1,000 फ्लैटों वाले दोनों टावरों का निर्माण नियमों के उल्लंघन में किया गया था और सुपरटेक अपनी लागत पर तीन महीने के भीतर तोड़ें।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा एमेराल्ड कोर्ट परिसर में मौजूद दो टावरों को गिराने का आदेश देने के साथ एक दशक पुरानी कानूनी लड़ाई का पटाक्षेप हो गया जिससे यहां के निवासियों ने राहत की सांस ली है। एमेराल्ड कोर्ट परियोजना के निवासियों ने कहा कि सच की जीत हुई है और सुप्रीम कोर्ट के प्रति विश्वास और बढ़ा है। निवासियों ने बताया कि 15 टावर में कुल 660 फ्लैट हैं लेकिन वर्ष 2009 में नियमों को तोड़कर दो टावरों का निर्माण शुरू हुआ और उन्हें बताया गया कि यह अलग परियोजना का हिस्सा है।
एमेराल्ड कोर्ट आरडब्ल्यूए के पूर्व अध्यक्ष एसके शर्मा ने कहा कि हमने परियोजना से जुड़े नक्शे और मंजूरी पत्र को देखने पर जोर दिया, क्योंकि परियोजना बहुत बड़ी दिख रही थी और दो ढांचो के बीच की दूरी के नियम का उल्लंघन करती प्रतीत हो रही थी। कई बार की कोशिशों के बाद हमें नक्शा देखने को मिला जिसे देखकर हम स्तब्ध रह गए। हमे महसूस हुआ कि बिल्डर नियमों का उल्लंघन कर कार्य कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अप्रैल, 2014 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ रियल्टी प्रमुख सुपरटेक लिमिटेड की याचिका पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें नोएडा में एमराल्ड कोर्ट परियोजना में इमारत के मानदंडों के उल्लंघन के लिए जुड़वां 40 मंजिला टावरों को ध्वस्त करने और स्वीकृत योजना प्रदान नहीं करने पर निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण, योजनाकारों और बिल्डर सुपरटेक के बीच मिलीभगत को गंभीरता से लिया।
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