कई लोग घर का मालिक बनने को अपने सबसे बड़े वित्तीय लक्ष्यों में से एक मानते हैं। एक घर न केवल हमारे सिर पर छत देता है बल्कि (समाज में) हमारी पहचान भी बनाता है, और यह एक ऐसी धरोहर है जिसे हम अपनी अगली पीढ़ियों के लिए उनका भविष्य सुरक्षित करने के लिए छोड़ कर जाना चाहते हैं। वास्तव में, बैंकबाज़ार के एस्पिरेशन इंडेक्स 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में हमारे जीवन के अधिकांश पहलुओं को प्रभावित करने वाली महामारी के बावजूद 90.7 के प्रभावशाली 'महत्व' वाले स्कोर के साथ (सर्वेक्षण के) अधिकांश उत्तरदाताओं ने यह माना है कि अपने घर का मालिक बनना उनका सबसे बड़ा संपत्ति लक्ष्य है। सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि घर का मालिक बनने के लक्ष्य का 'तत्परता अंतर' (रेडीनेस गैप)— यानी उत्तरदाताओं द्वारा एक लक्ष्य को दिए जाने वाले महत्व और उसके लिए तत्परता के बीच का अंतर — 6.3 के औसत से ऊपर है, जो यह दर्शाता है कि कई लोग अभी भी महसूस करते हैं कि उन्हें घर खरीदने के लिए अभी कुछ और पैसा इकट्ठा करने की जरूरत है।
यह कहने की जरूरत नहीं कि घर खरीदना कोई सस्ता सौदा नहीं है। इस तरह, ज्यादातर लोग अपना घर खरीदने के लिए जरूरी धनराशि हासिल करने के लिए होम लोन लेते हैं, जिसे वे अधिकतम 30 वर्षों की अवधि में ब्याज के साथ चुकाते हैं। इसके अलावा, कई अन्य महत्वपूर्ण खर्चे भी हो सकते हैं जिनका भुगतान आपको स्वयं के संसाधनों से करना पड़ सकता है। इसलिए, घर खरीदने जैसी महत्वपूर्ण काम की योजना बनाते समय इन खर्चों से अवगत होने में ही समझदारी है। यहाँ जानें कि होम लोन की मदद से घर खरीदने की वास्तविक लागत का अनुमान क्या हो सकता है।
डाउन पेमेंट
आम तौर पर होम लोन में संपत्ति मूल्य के 90% तक ही ऋण मिलता है; इसका अर्थ है कि शेष 10% राशि आपको अपनी जेब से देनी होगी। हालाँकि, मान लीजिए कि यदि आपका होम लोन 75 लाख रुपए से ऊपर है तो आपका ऋणदाता (लेंडर) लोन की राशि के 75% तक ही स्वीकृत कर सकता है और शेष 25% राशि आपको डाउन पेमेंट के रूप में देनी होगी। उदाहरण के लिए, यदि आपकी संपत्ति का मूल्य 30 लाख रुपए है तो आपका
डाउन पेमेंट उस राशि का 10% यानी 3 लाख रुपए हो सकता है। लेकिन यदि आपकी संपत्ति का मूल्य 1 करोड़ रुपए है तो आपको डाउन पेमेंट के रूप में 25% यानी 25 लाख रुपए देने पड़ सकते हैं।
होम लोन पर ब्याज
पिछले कुछ वर्षों में अधिकांश बैंकों के होम लोन की ब्याज दरें कई दशकों में अपने निचले स्तर पर होने के बावजूद, यह आमतौर पर घर के मालिक के लिए सबसे बड़ा खर्च बना हुआ है। ऋणदाता कई कारकों जैसे कि ऋणी की आयु, लिंग, आय, क्रेडिट स्कोर, संपत्ति का मूल्य, लोन-टू-वैल्यू (एलटीवी) अनुपात आदि के आधार पर होम लोन पर लागू ब्याज दर का निर्धारण करते हैं। इस बात को ऐसे समझें... मान लीजिए कि आपकी उम्र 30 वर्ष है, आपका क्रेडिट स्कोर 800 से अधिक है और आप 30 लाख रुपए कीमत का एक घर खरीदना चाहते हैं। आपका एलटीवी 90% है, इसलिए आपके होम लोन की राशि 27 लाख रुपए है। यदि आपका ऋणदाता 6.75% प्रति वर्ष की दर से 30 वर्ष की अवधि के लिए लोन स्वीकृत करता है, तो 30 वर्षों के लिए आपकी ईएमआई 17,512 रुपए होगी (यह मानते हुए कि लोन की अवधि के दौरान यही ब्याज दर रहता है), और आपके द्वारा कुल देय ब्याज 36.04 लाख रुपए और कुल चुकौती राशि 63.04 लाख रुपए होगी। यदि वही व्यक्ति 1 करोड़ रुपए का घर खरीदना चाहता है तो उसके लोन की राशि 75 लाख रुपए हो सकती है, और 30 वर्षों के लिए 7% प्रति वर्ष के ब्याज पर उसकी ईएमआई 49,897 रुपए, कुल ब्याज 1.04 करोड़ रुपए और कुल चुकौती राशि 1.8 करोड़ रुपए हो सकती है। इस तरह, बेहतरीन पेशकश पाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आपका क्रेडिट स्कोर अधिक हो।
होम लोन से जुड़े अन्य शुल्क
होम लोन लेते समय ऋणदाताओं को कुछ अतिरिक्त शुल्क देने की आवश्यकता होती है, जैसे कि लोन का प्रोसेसिंग शुल्क, दस्तावेज़ीकरण शुल्क, कानूनी राय का शुल्क, संपत्ति मूल्यांकन शुल्क, आदि। ऋणदाता को दिया जाने वाला लोन प्रोसेसिंग शुल्क वह राशि है जो वापस नहीं होती, और यह आपके लोन का एक छोटा प्रतिशत होता है। कुछ ऋणदाता प्रोसेसिंग शुल्क में ही दस्तावेज़ीकरण, कानूनी राय और मूल्यांकन शुल्क को जोड़ सकते हैं, जबकि कुछ अन्य उन्हें अलग से लगा सकते हैं।
टाइटल डीड जमा ज्ञापन पत्र (एमओडीटी) शुल्क
होम लोन की अवधि के दौरान ऋणदाता के पास संपत्ति का टाइटल डीड तब तक रहता है जब तक कि सभी बकाया राशि पूरी तरह से चुका नहीं दी जाती। ऋणदाता अपने पास टाइटल डीड रखने के लिए एमओडीटी शुल्क लेते हैं, जो आमतौर पर होम लोन की राशि के 0.1% से 0.3% तक होता है और यह एक राज्य से दूसरे राज्य मेंअलग हो सकता है। प्रोसेसिंग शुल्क, कानूनी राय संबंधी शुल्क और एमओडीटी शुल्क आम तौर पर लोन राशि के 1% से कम होते हैं, और इन्हें प्रायः माफ कर दिया जाता है, कैप लगा दिया जाता है या छूट दी जाती है।
स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क
राज्य सरकारें हर संपत्ति के लेनदेन पर स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क लगाती हैं। ये शुल्क अन्य कारकों के साथ-साथ संपत्ति के स्थान, कीमत और आकार के अनुसार अलग-अलग होते हैं। स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क मिलकर संपत्ति के मूल्य का लगभग 3% से 6% तक बैठते हैं। यदि किसी ब्रोकर के जरिए संपत्ति खरीदी जा रही है, तो खरीदार को ब्रोकरेज और कानूनी शुल्क का भुगतान करना पड़ता है जो कि संपत्ति के कुल मूल्य का 1% से 2% हो सकता है। इस प्रकार, यदि पंजीकरण और स्टांप शुल्क को 6% और ब्रोकरेज को 1% (कुल 7%) मान लिया जाए, तो ये 30 लाख रुपए की संपत्ति पर 2.1 लाख रुपए और 1 करोड़ रुपए की संपत्ति पर 7 लाख रुपए हो सकते हैं।
अन्य खर्चे
इनके अलावा, घर खरीदने वाले को डेवलपर को कई अन्य शुल्क भी देने पड़ सकते हैं, जिसमें बिजली और पानी का शुल्क, फ्लोर राइज, नगरपालिका कर, सोसाइटी का सालाना मेंटनेंस और क्लब हाउस शुल्क (यदि कोई है) शामिल हैं, जो एक साथ मिलकर बड़ी राशि हो जाते हैं। इसके अलावा, निर्माणाधीन संपत्तियों में जीएसटी का भुगतान भी शामिल होता है। इसके साथ ही, आपको अपनी ईएमआई के अतिरिक्त हर महीने मेंटनेंस शुल्क भी देना पड़ सकता है जो कि संपत्ति के सुपर बिल्ट-अप एरिया और अपार्टमेंट सोसाइटी की विभिन्न सुविधाओं व स्थान के आधार पर निर्धारित की जाती हैं।
फिर घर की साज-सज्जा से जुड़े खर्चों की बात आती है जो आपकी पसंद और बजट के आधार पर लाखों में हो सकती है। नए घर में शिफ्ट होने के दौरान आपको मूवर्स एंड पैकर्स को भी एक बड़ी रकम का भुगतान करना पड़ सकता है।अंत में, इच्छुक गृहस्वामियों को घर खरीदने से पहले अच्छी तरह से योजना बनानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे चुकौती के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम हैं।
(लेखक आदिल शेट्टी, BankBazaar.com के सीईओ हैं)
(डिस्क्लेमर- प्रस्तुत लेख में लेखके के निजी विचार हैं)
डिस्क्लेमर: टाइम्स नाउ डिजिटल अतिथि लेखक है और ये इनके निजी विचार हैं। टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है।
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