अगस्त में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को उधारकर्ताओं को वन-टाइम लोन रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम ऑफर करने का निर्देश दिया। इस स्कीम का उद्देश्य, लॉकडाउन के कारण इनकम और बिजनेस बंद होने के कारण अपना लोन चुकाने में असमर्थ उधारकर्ताओं के तनाव को कम करना है। इससे उन्हें दो साल तक का लोन टेन्योर एक्सटेंशन मिलेगा। इससे उनके लिए रीपेमेंट करना कुछ हद तक ज्यादा आसान, तो कुछ हद तक ज्यादा मुश्किल हो सकता है। कुछ बैंक अपनी रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम्स का ऐलान कर चुके हैं, कुछ जल्द करने वाले हैं। आइए देखते हैं कि तनावग्रस्त उधारकर्ताओं को अपने होम, कार, पर्सनल या एजुकेशन लोन के मामले में क्या करना चाहिए।
सिर्फ सुयोग्य उधारकर्ताओं को रिस्ट्रक्चरिंग का लाभ मिल सकता है। उदाहरण के लिए, भारतीय स्टेट बैंक ने अपने रीजोलुशन फ्रेमवर्क में कहा है कि इन पिछले कुछ महीनों में उधारकर्ताओं के इनकम में नुकसान या कटौती दिखाई देनी चाहिए। आरबीआई ने निर्देश दिया है कि यह स्कीम सिर्फ उन उधारकर्ताओं को दिया जाना चाहिए जो फरवरी 2020 तक समय पर अपना बकाया चुकाते रहे थे। जिन्होंने 1 मार्च 2020 से 30 दिन पहले रीपेमेंट बंद कर दिया था उन्हें इस स्कीम का लाभ नहीं मिल पाएगा क्योंकि यह सिर्फ कोविड-प्रभावित उधारकर्ताओं के लिए है। इसलिए, इसके लिए अप्लाई करने से पहले, अपने उधारदाता से अपनी योग्यता के बारे में पूछ लें। यदि आपके उधारदाता ने अभी तक अपने फ्रेमवर्क का ऐलान नहीं किया है तो इंतजार करें। याद रखें, जरूरी नहीं कि आपका एप्लीकेशन स्वीकार कर लिया जाएगा। उदाहरण के लिए, आईसीआईसीआई कहता है कि एप्लीकेशन सिर्फ सम्पूर्ण प्रक्रिया की शुरुआत है। उधारकर्ता द्वारा क्रेडिट रिस्ट्रक्चरिंग सुविधा के लिए अप्लाई करने के बाद, बैंक अपनी आतंरिक नीतियों के आधार पर एप्लीकेशन की समीक्षा करेगा।
चूंकि आपको फरवरी की तुलना में इनकम का नुकसान दिखाना पड़ेगा, इसलिए आपको इनकम प्रूफ की जरूरत पड़ेगी। वेतनभोगियों का इनकम प्रूफ, सैलरी स्लिप और बैंक स्टेटमेंट होंगे। स्वरोजगारकर्ताओं के लिए, बैंक स्टेटमेंट, जीएसटी रिटर्न, इनकम टैक्स रिटर्न, इत्यादि काफी होगा। यदि नौकरी छूट गई है तो नौकरी बर्खास्तगी पत्र की जरूरत पड़ सकती है। ये नियम, अलग-अलग बैंक में अलग-अलग हो सकते हैं। इसलिए, पता करें कि आपके उधारदाता को किन-किन दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी।
रिस्ट्रक्चरिंग सुविधा लेना, सस्ता नहीं है। उदाहरण के लिए, एसबीआई, रिस्ट्रक्चर्ड लोन पर 35 बेसिस पॉइंट्स ज्यादा इंटरेस्ट लेगा। एचडीएफसी, प्रोसेसिंग फीस ले सकता है। आईसीआईसीआई, रिस्ट्रक्चर्ड लोन पर अतिरिक्त इंटरेस्ट लेगा। इस तरह के चार्ज के अलावा, ज्यादा ईएमआई भी देनी पड़ सकती है। कुल मिलाकर, मार्च से ईएमआई पर मोरेटोरियम लिया गया होने पर और ज्यादा इंटरेस्ट देना पड़ सकता है। दीर्घकालिक लागत का पता लगाने के लिए एक ईएमआई कैलकुलेटर का इस्तेमाल करें।
एक बात जान लें कि रिस्ट्रक्चरिंग फ्रेमवर्क, कोविड प्रभावित उधारकर्ताओं की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। यदि आपके पास एक स्टेबल इनकम है और आप अपनी ईएमआई देने में समर्थ हैं तो यह विकल्प न चुनें। क्योंकि इससे आपको कुछ लाभ नहीं होगा। एक्स्ट्रा मोरेटोरियम सहित 24 महीने का एक्सटेंशन लेने पर, ज्यादा इंटरेस्ट रेट और प्रोसेसिंग फीस के कारण आपकी लोन लागत बढ़ जाएगी और आपको अपने मोरेटोरियम की भरपाई करने के लिए ज्यादा ईएमआई भी देना पड़ेगा। इससे आपके फाइनेंस पर और दबाव पड़ सकता है। इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए आपको अपने इनकम का नुकसान साबित करना होगा, यदि आप भविष्य में अपना इनकम गिरने की उम्मीद कर रहे हैं तो आप इसका लाभ नहीं उठा सकते। यह पहले ही होने की जरूरत है।
इस स्कीम का लाभ उठाने के बाद आपके इंटरेस्ट का बोझ बढ़ जाएगा जिसे समय-समय पर कुछ प्रीपेमेंट करके कम किया जा सकता है। अपना लोन बैलेंस कम करने के लिए प्रीपेमेंट करने पर आपका लोन टेन्योर और लागू इंटरेस्ट लोड कम हो जाएगा। आप जितना ज्यादा प्रीपेमेंट करेंगे, आपका लोन इंटरेस्ट उतना कम हो जाएगा। प्रत्येक बैंक ने लोन रिस्ट्रक्चरिंग एप्लीकेशन के लिए एक तारीख बताई है जिसके पहले आपको अप्लाई करना होगा। एसबीआई के लिए यह 24 दिसंबर 2020, और आईसीआईसीआई के लिए 18 दिसंबर 2020 है। अपडेटेड रहने के लिए अपने उधारदाता के संपर्क में रहें।
इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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