जब टाटा समूह का नेतृत्व करने के लिए रतन टाटा के चयन पर उठे थे सवाल, इस तरह किया था सामना

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Updated Feb 20, 2021 | 13:39 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Ratan Tata: टाटा संस के चेयरमैन एमेरिटस रतन टाटा ने पिछले साल अपने से जुड़ी कई कहानियों का खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि किस तरह उनके चयन पर सवाल उठाए गए थे।

ratan tata
रतन टाटा 

देश के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा का नाम हर कोई काफी सम्मानित तरीके से लेता है। टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष रतन नवल टाटा 1991 से 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे। वह टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन बने हुए हैं। उन्हें भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) से सम्मानित किया गया है। उन्हें व्यावसायिक नैतिकता और परोपकार के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है।

टाटा समूह ने उनके नेतृत्व में लंबी छलांग लगाई और सीमाओं को बढ़ाया, ऐसे में यह कल्पना करना लगभग असंभव है कि एक समय था जब लोग उन्हें समूह का नेतृत्व करने के लिए गलत विकल्प के रूप में पेश करते थे। पिछले साल 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' फेसबुक पेज के साथ बातचीत में टाटा ने बताया कि कैसे जेआरडी टाटा पर उस समय भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया गया था, जब उन्होंने रतन टाटा को टाटा ग्रुप का चेयरमैन नियुक्त किया था।

टाटा ने कहा कि 1991 में JRD समूह और टाटा इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष थे। बाद में वह पद से हट गए और पहली बार में उनकी कोई आलोचना नहीं हुई, लेकिन जब उन्होंने टाटा संस से पद छोड़ने का फैसला किया, तो उसकी तीखी आलोचना हुई। JRD ने रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी चुना लेकिन लोगों को उस निर्णय पर यकीन नहीं था। 

खुद को किया साबित

उन्होंने कहा, 'इस पद के लिए कई उम्मीदवार थे। इस वजह से कई समस्याएं थीं। कई को लग रहा था कि उनका फैसला गलत है। मैं इससे पहले गुजर चुका था, इसलिए मैंने वही किया जो मुझे सबसे अच्छे से आता था। खुद को मौन रखा और अपने को साबित करने पर ध्यान केंद्रित किया। यदि आप उस समय की कवरेज को देखते हैं तो तो आलोचना व्यक्तिगत थी। जेआरडी को भाई-भतीजावाद के साथ जोड़ा गया था और मुझे गलत विकल्प के रूप में पेश किया गया था।' 

परोपकार के लिए जाने जाते हैं 

रतन टाटा के मार्गदर्शन में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस सार्वजनिक निगम बनी और टाटा मोटर्स न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुई। 1998 में टाटा मोटर्स ने उनके संकल्पित टाटा इंडिका को बाजार में उतारा। 26 मार्च 2008 को रतन टाटा के अधीन टाटा मोटर्स ने फोर्ड मोटर कंपनी से जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया। वो अपने परोपकार के लिए जाने जाते हैं। उनके नेतृत्व में, टाटा ट्रस्ट ने कई तरह से बाल कुपोषण की समस्या का सामना किया, प्रधान खाद्य पदार्थों को मजबूत किया, मातृ स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया, और उनके कार्यक्रमों में एक दिन में 60,000 भोजन उपलब्ध कराने के साथ गरीबी को कम करने का लक्ष्य रखा।

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