नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के बीच कई कर्मचारी अब अपने सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF)/कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) खातों, राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS), फिक्स्ड डिपॉजिट से पैसा निकाल रहे हैं क्योंकि कंपनियां वेतन काट रही हैं और कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं। कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से कंपनियां के बिजनेस में नुकसान हो रहा है। हालांकि इन लॉन्ग टर्म बचत साधनों से धन निकालना जरूरी हो सकता है, लेकिन इन योजनाओं से आंशिक निकासी करने के लिए टैक्स इंप्लिकेशन को जानना चाहिए।
पीपीएफ, ईपीएफ से निकासी पर टैक्स नियम
पीपीएफ और ईपीएफ छूट-छूट-छूट (ईईई) टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत आते हैं, जिसका अर्थ है कि वित्तीय वर्ष में पीपीएफ/ईपीएफ में किए गए निवेश, बचत पर लाभ और मैच्योरिटी लाभ पर टैक्स से छूट प्राप्त होती है। हालांकि पीपीएफ अकाउंट 15 साल में मैच्योर होता है, लेकिन कोई व्यक्ति पांच साल की समाप्ति के बाद टैक्स फ्री आंशिक निकासी कर सकता है। अधिकतम आंशिक निकासी जो की जा सकती है, चौथे वर्ष के अंत में बायलैंस राशि का 50% है। इसके अलावा, पीपीएफ अकाउंट होल्डर्स को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए आपात स्थिति के मामले में 5 साल के योगदान के बाद समय से पहले अपने खाते से सभी बायलैंस राशि को वापस लेने की अनुमति है। यह राशि टैक्स योग्य नहीं होगी।
इसी तरह, ईपीएफओ द्वारा उल्लिखित विभिन्न उद्देश्यों के लिए टैक्स फ्री आंशिक निकासी ईपीएफ से पांच साल बाद की जा सकती है। लेकिन कुछ स्थितियों जैसे कि मेडिकल इमरजेंसी समेत, आंशिक निकासी पांच साल से पहले भी की जा सकती है। कोरोना वायरस महामारी के कारण, सरकार ने ईपीएफ खाते से तीन महीने के मूल और महंगाई भत्ते या खाते में शेष राशि का 75%, जो भी कम हो, के लिए टैक्स फ्री आंशिक निकासी/अग्रिम की अनुमति दी है।
एनपीएस से निकासी पर टैक्स नियम
ग्राहक के 60 वर्ष के हो जाने पर एक एनपीएस खाता मैच्योर हो जाता है। मैच्योरिटी पर, संचित कोष के 60% तक की निकासी को टैक्स से छूट दी जाती है, जबकि शेष 40% को सालाना में निवेश करने की आवश्यकता होती है। सालाना आय टैक्स योग्य होगी। यहां उल्लेख करने योग्य बात यह है कि खास परिस्थितियों में पेंशन फंड से जुड़ने की तारीख से तीन साल बाद एनपीएस से आंशिक निकासी की अनुमति दी जाती है, जिसमें उच्च शिक्षा/बच्चों की शादी, आवासीय घर की खरीदना/बनाना और गंभीर बीमारी के इलाज के लिए शामिल हैं। पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (PFRDA) ने कोरोना वायरस के इलाज से संबंधित खर्चों को कवर करने के लिए एनपीएस से आंशिक निकासी की अनुमति दी है क्योंकि यह एक महामारी के रूप में घोषित किया गया है। तो यह एक गंभीर बीमारी के रूप में माना जाएगा।
फिक्स्ड डिपॉजिट से निकासी पर टैक्स
फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाली ब्याज इनकम पर टैक्सपेयरों को उनके स्लैब दरों के अनुसार टैक्स लगता है। फिक्स्ड डिपॉजिट से समय से पहले निकासी के मामले में, ब्याज आय पर टैक्स के अलावा कुछ दंड शुल्क भी हो सकते हैं।
शेयरों और म्यूचुअल फंड में निवेश पर टैक्स नियम
लिस्टेड शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड में अपने निवेश को बेचने की योजना बनाने वाले निवेशकों को लाभ पर 15% इनकम टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है। यदि आप खरीद की तारीख से एक वर्ष पूरा होने से पहले अपने शेयर बेचते हैं, तो लेनदेन से किए गए लाभ को शॉट टर्म पूंजीगत लाभ माना जाएगा और इस पर 15% टैक्स लगेगा। हालांकि, एक साल बाद बेची गई स्टॉक, इक्विटी एमएफ यूनिट्स बिना इंडेक्सेशन के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स को आकर्षित करेगी। यहां उल्लेख करने योग्य बात यह है कि एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख रुपए तक का एलटीसीजी टैक्स फ्री होता है। गैर-इक्विटी उन्मुख म्यूचुअल फंड की इकाइयों की बिक्री पर, एसटीसीजी पर स्लैब दरों पर टैक्स लगाया जाता है जबकि एलटीसीजी पर 20% टैक्स लगाया जाता है।
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