Padma Shri: पिता अरशद सामी पर मचे बवाल पर अदनान सामी ने दिया जवाब- उन्होंने अपनी ड्यूटी निभाई

Padma Shri Controversy: अदनान सामी को पद्मश्री पर मिलने भारत की विपक्षी पार्टी हमला कर रही हैं। अदनान सामी के पिता पाकिस्तानी एयरफोर्स में थे। अब अदनान सामी ने इस पर चुप्पी तोड़ी है।

Adnan Sami
Adnan Sami  
मुख्य बातें
  • अदनान सामी को पद्मश्री मिलने पर विपक्षी पार्टी हमला कर रही है।
  • अदनान सामी के पिता पाकिस्तानी एयरफोर्स के पायलट थे।
  • अदनान सामी ने अब इस पर अपना जवाब दिया है।

मुंबई. अदनान सामी को पद्मश्री मिलने के बाद लगातार ट्रोल किया जा रहा है। अदनान पर कांग्रेस समेत कई लोग ये कहकर हमला कर रहे हैं कि उनके पिता पाकिस्तानी वायुसेना में पायलट थे। इसके अलावा उनके पिता भारत के खिलाफ युद्ध में लड़े थे। अब अदनान सामी ने इसका जवाब दिया है। 

ANI से बातचीत में अदनान सामी ने कहा-'मेरे पिता 1965 की लड़ाई में पाकिस्तान के एक फाइटर पायलट थे। उन्होंने अपने देश के लिए अपनी ड्यूटी निभाई। उनको देशभक्ति के लिए सम्मानित भी किया गया।' 

अदनान सामी ने कहा- 'कौन सी दुनिया में ऐसा दस्तूर है एक बेटे के ऊपर इल्जाम आप रखते हो उसके बाप के कामों पर।' इसके अलावा अदनान सामी ने भारत सरकार को भी धन्यवाद कहा है। बकौल अदनान- 'ये मेरे और मेरी फैमिली के लिए गर्व का विषय है।' 

 

पिता ने लड़ी थी 1965 की जंग 
पाकिस्तान एयर फोर्स म्यूजियम की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक अदनान सामी के पिता अरशद सामी खान 1965 के युद्ध में पाकिस्तान के एयरफोर्स में पायलट थे। उन्हें एक एयरक्राफ्ट, 15 टैंक, 2 हेवी उच्च क्षमता की बंदूकों और 22 वाहनों को नष्ट करने जबकि 8 टैंकों और 19 वाहनों को क्षतिग्रस्त करने का श्रेय जाता है।

अदनान के पिता को युद्ध के बाद जनरल आयूब खान को सितारा-ए-जुरात से नवाजा गया था जो पाकिस्तान की तीसरी सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है। अदनान के पिता ने बाद में तीन पाकिस्तानी राष्ट्रपतियों के सहायक के रूप में काम किया और डिप्लोमेट भी रहे थे।

अदनान सामी ने किया था ये पोस्ट
अदनान सामी ने पद्मश्री मिलने के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। अदनान सामी ने लिखा- एक आर्टिस्ट की जिंदगी का सबसे बड़ा पल होता है जब सरकार उसके काम को मान्यता दें और उसे सम्मान करें।   

अदनान आगे लिखते हैं- ' मुझे भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित होने पर काफी खुशी हो रही है। ये 34 साल की संगीतमय यात्रा थी। गौरतलब है कि सुरेश वाडकर को भी पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया।      

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