Panipat Movie Review in Hindi: इतिहास में कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो पूरे उसका रुख मोड़ देती है। ऐसी घटना है 1761 में मराठाओं और अफगानिस्तान के सुल्तान अहमद शाह अब्दाली के बीच हुआ पानीपत का तीसरा युद्ध। अब लगान, जोधा अकबर जैसी पीरियड फिल्म के डायरेक्टर आशुतोष गोवारिकर ने इस युद्ध की कहानी को बड़े पर्दे पर उतारा है।
कहानी:
भारत में मुगल साम्राज्य अपने ढलान पर है। वहीं, मराठों की सेना अपराजित हैं। मराठे के पेशवा श्रीमंत नाना साहेब (मोहनीश बहल) के सबसे खास योद्धा सदाशिव भाऊ (अर्जुन कपूर) हैदराबाद के किले को जीत लिया है।
दूसरी तरफ अफगानिस्तान की राजधानी कंधार में दुर्रानी वंश के राजा अहमद शाह अब्दाली (संजय दत्त) का साम्राज्य था। मराठों के तरफ से बढ़ते दवाब के कारण मुगल साम्राज्य का मीर बख्शी (सेनापति) नजीब अहमद शाह अब्दाली के पास मराठाओं से युद्ध का प्रस्ताव रखता है।
सदाशिव भाऊ को अपने राजवैद्य की बेटी पार्वती बाई (कृति सेनन) से प्यार हो जाता है। हालांकि, पेशवा की बीवी गोपिका बाई (पद्मिनी कोल्हापुरी ) सदाशिव को सेनापति से धन मंत्री बना देती है। दूसरी तरफ मराठा साम्राज्य को अहमद शाह अब्दाली की एक लाख की सेना के साथ हमले की योजना की खबर मिलती है।
सदाशिव भाऊ पेशवा विश्वास के नेतृत्व में अपनी 40 हजार सेना के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो जाते हैं। मराठा बीच रास्ते में वह कई राजा और रजवाड़े से गठबंधन कर अपनी सेना की संख्या को बढ़ाते हैं। इस बीच यमुना में पानी का स्तर अब्दाली की सेना को रोके रखता है।
दोनों सेनाएं आखिर में पानीपत के मैदान पर टकराती हैं। अब मराठाओं को कैसे और किससे धोखा मिलता है। सदाशिव भाऊ कैसे बहादुरी के साथ ये युद्ध लड़ते हैं। मराठाओं की कौन सी गलती उन पर भारी पड़ती है, पानीपत इसी की कहानी है।
रिव्यू
आशुतोष गोवारिकर की पीरियड फिल्म तीन घंटे से पहले खत्म नहीं होती है। पानीपत के साथ भी ऐसा ही है। फिल्म का फर्स्ट हाफ लंबा है। इसके अलावा धीमा भी है। हालांकि, फिल्म के विजुएल्स, कहानी और डायरेक्शन आपको बांधे रखेगा।
इतिहास का एक जटिल विषय होने के बावजूद फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी सधा है। आशुतोष गोवारिकर जोधा अकबर और लगान का जादू दोहराने में काफी हद तक कामयाब रहे हैं। वहीं, इतिहास के साथ ज्यादा छेड़छाड़ न करते हुए क्रिएटिव फ्रीडम को अच्छे से भुनाया है। वहीं, रणभूमि में मराठाओं के शौर्य और जज्बे को पर्दे पर दर्शाने में आशुतोष कामयाब रहे हैं।
फिल्म की सबसे बड़ी खासियत इसके वॉर सीन है। इसके लिए फिल्म के सिनेमटोग्राफर सीके मुरलीधरन की तारीफ करनी होगी। कुछ वॉर सीन बाहुबली में कालकेय और माहिष्मति के युद्ध की यादें ताजा करेंगे। जाएगी।
फिल्म के सेट और लोकेशन मराठा साम्राज्य की भव्यता को बखूबी देखाते हैं। मराठाओं की राजधानी पुणे का शनिवार वाड़ा या फिर दिल्ली के लालकिले को बखूबी रिक्रिएट किया है। स्टारकास्ट की कॉस्ट्यूम इस भव्यता को और बढ़ा देती है।
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक थोड़ा लाउड है। हालांकि, फिल्म के गाने सिचुएशन के हिसाब से अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं। खासकर मर्द मराठा गाना काफी वक्त तक लोगों की जुबान पर रहेगा।
एक्टिंग
स्टारकास्ट की बात करें तो अर्जुन कपूर को सबसे ज्यादा स्क्रीन टाइम मिला है। उन्होंने इस किरदार के लिए काफी मेहनत की है। हालांकि, अर्जुन कपूर एक्सप्रेशन और डायलॉग डिलिवरी में मात खा गए हैं। वहीं, एक्शन और वॉर सीन में काफी सहज लग रहे हैं।
कृति सेनन पहली बार कोई एतिहासिक किरदार निभा रही हैं। कृति ने पार्वती बाई के किरदार के साथ पूरा न्याय किया है। संजय दत्त ने अहम शाह अब्दाली की क्रूरता को बखूबी पर्दे पर उतारा है। हालांकि, क्लाइमैक्स तक आपको उनके किरदार से सहानूभूति होने लगेगी।
सहयोगी कलाकारों में पद्मिनी कोल्हापुरी, मोहनीश बहल, सुहासिनी मुले, नवाब शाह, अभिषेक निगम, साहिल सलाथिया और पेशवा विश्वास के रोल में अभिषेक निगम ने अपने किरदारों के साथ न्याय करने की कोशिश की है।
क्यों देखें फिल्म
आपको एतिहासिक और पीरियड फिल्में पसंद है तो आपके लिए पानीपत एक विजुअल ट्रीट साबित हो सकती है। इसके अलावा फिल्म का डायरेक्शन और कहानी आपको तीन घंटे तक कुर्सी में बांधे रखेगी।
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