मुंबई. साल 2021 की शुरुआत अच्छी खबर से हुई। रविवार तीन जनवरी को डीजीसीआई ने कोरोना की दो वैक्सीन- कोविशिल्ड और कोवैक्सिन को अपात्कालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है। कोविशिल्ड सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफर्ड एस्ट्राजेनिका की मदद से बनाई है। वहीं, कोवैक्सिन का निर्माण भारत बायोटेक ने किया है।
दुनिया में कोरोना की वैक्सीन तीन तरह से बनाई गई है। पहली एमआरएनए, दूसरी वेक्टर व तीसरी प्रोटीन सब यूनिट। फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन एमआरएनए तकनीक से बनाई गई है।
भारत की बात करें कोविशिल्ड वेक्टर वैक्सीन है। ये सर्दी के एक वायरस एडेनोवायरस के कमजोर वर्जन का इस्तेमाल कर बनाई गई है। यह वायरस चिम्पांजी में पाया जाता है। जेनेटिकली बदलाव कर इसे वैक्सीन लायक बनाया गया है।
शरीर में ऐसी करेगी काम
कोरोना से लड़ने के लिए बनाई गई कोविशिल्ड शरीर में जाने के बाद स्पाइक प्रोटीन को पहचानेगा और उसके खिलाफ इम्युन रेस्पांस तैयार करेगा। इसके बाद वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी बनाएगी।
एंटीबॉडी के जरिए शरीर में इम्युन सिस्टम तैयार होगा, जो कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचानेगा। एंटीबॉडी बनाने के बाद शरीर में किलर टी-सेल एक्टिवेट होंगे, ये वायरस को खत्म करेंगे।
ऐसे काम करेगी कोवैक्सिन
भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई कोवैक्सिन के ट्रायल्स केवल भारत में ही हुए हैं। पहले और दूसरे फेज के क्लीनिकल ट्रायल्स में कोवैक्सिन का सेफ्टी और इम्युनोलॉजेनेसिटी डेटा काफी अच्छा रहा है। कोवैक्सिन के तीसरे फेज का ट्रायल फिलहाल चल रहा है।
तीसरे फेज के ट्रायल में करीब 26,000 वॉलंटियर्स में से 13,000 वॉलंटियर्स को वैक्सीन का पहला डोज दिया जा चुका है। कोवैक्सिन न केवल शरीर में कोरोना के स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करेगी बल्कि इम्युन सिस्टम भी डेवलप करेगी।