नई दिल्ली: दुनियाभर में कोविड-19 का प्रकोप फैले करीब एक साल से कुछ अधिक समय हो चुका है। दुनिया का ऐसा कोई देश नहीं है, चाहे वह विकसित हो या विकासशील, जो इस महामारी के चंगुल से बच पाया हो। इसका सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में इतना बुरा असर पड़ा है कि बेहद सुगठित हैल्थ केयर मॉडल वाले देश भी इसे नियंत्रित करने में असफल रहे हैं। चूंकि यह एक नया रोग है, लिहाज़ा इंसानों के शरीर पर यह किस प्रकार से असर करेगा, इस बारे में किसी को भी कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन मेडिकल कम्युनिटी ने काफी मुस्तैदी से इसके खिलाफ मोर्चा संभाला और इस घातक वायरस के रहस्यों की गुत्थियां सुलझाने में तत्परता से जुट गई। आज इस वायरस के बारे में काफी कुछ जानकारी मिल चुकी है और इसके संक्रमण तथा शरीर की प्रणालियों पर इसके प्रभावों के विषय में भी काफी कुछ पता चल चुका है।
मौजूदा जानकारी के मुताबिक, कोविड-19 किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में ले सकता है। 80%से ज्यादा मामले हल्के असर वाले होते हैं जिनमें फ्लू जैसे लक्षण दिखायी देते हैं। ज्यादातर लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं होती। लेकिन कोविड-19 के 15% मामले काफी गंभीर होते हैं और लगभग 5%मामलों में मरीज़ गंभीर रूप से बीमार हुए हैं। इसके बावजूद, सुखद बात यह है कि अब तक कोविड-19 संक्रमण का शिकार बनी ज्यादातर आबादी (लगभग 98%) जीवित बचने में कामयाब हुई है।
कुछ मामलों में जोखिम अधिक
हमें यह भी पता चला है कि वृद्धों और पहले से ही कुछ मेडिकल परेशानियों जैसे कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप और दमा आदि के शिकार लोगों को कोविड-19 वायरस ने गंभीर रूप से बीमार बनाया। इसके अलावा, सामान्य से अधिक वज़न या मोटापे से ग्रस्त लोगों के भी बचने की संभावनाएं काफी कम रहीं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मधुमेह ग्रस्त हर व्यक्ति को कोविड-19 जरूर होगा। हमें सोशल डिस्टेंसिंग, हाथों की सफाई और मास्क पहनने जैसी सावधानियों का पालन करते रहना चाहिए। इसी तरह, मधुमेह रोगियों को समय पर अपनी दवाएं लेते रहनी चाहिए। साथ ही, अपने ब्लड शूगर की भी नियमित रूप से जांच करते रहें और किसी भी प्रकार की परेशानी या असमान्यता महसूस होने पर अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
डायबिटीज़ और कोविड-19
डायबिटीज़ और कोविड-19 के बीच सीधा रिश्ता दिखायी देता है। डायबिटीज़ से प्रभावित व्यक्ति में वायरल संक्रमण होने पर, ब्लड ग्लूकोज़ लैवल में होने वाले उतार-चढ़ाव का इलाज करना मुश्किल होता है, जो संभवत: डायबिटीज़ जनित जटिलताओं की वजह से होता है। वायरस अधिक ब्लड ग्लूकोज़ होने पर अधिक सक्रिय हो सकता है और यह इम्यून सिस्टम से भी छेड़छाड़ करता है, जिसके चलते वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा कमज़ोर पड़ती है। इसके चलते मरीज़ के स्वस्थ होने में ज्यादा समय लगता है। साथ ही, वायरस का उपचार भी ब्लड शूगर स्तर को बढ़ाता है। इन सब कारणों का परिणाम यह होता है कि डायबिटीज़ के शिकार लोगों में कोविड-19 संक्रमण का जोखिम ज्यादा होता है।
साथ ही, हमने यह भी देखा है कि कई मामलों में, कोविड-19 के साथ ही मधुमेह रोग ने भी जड़ें जमायी हैं। ऐसा तब होता है जब किसी मरीज़ में पूर्व में डायबिटीज़ न हो लेकिन कोविड-19 की पुष्टि होने के बाद उन्हें डायबिटीज़ भी हो जाए। ऐसे मामलों में, नियमित रूप से जांच करवाएं ताकि सही इलाज समय पर मिल सके।
कोविड-19 वैक्सीनेशन
कोविड-19 से बचाव में सबसे महत्वपूर्ण हथियार है सुरक्षित और कारगर वैक्सीन। कोविड-19 से बचाने के लिए इस समय दुनियाभर में टीकाकरण अभियान जारी है और सभी विशेषज्ञों का मानना है कि हाइ रिस्क ग्रुपों तथा आगे चलकर सभी वयस्कों को वैक्सीनेशन दी जानी चाहिए। वैक्सीन हमें न सिर्फ रोग से बचाती है बल्कि हमारे आसपास रहने वाले लोगों का भी बचाव करती है, क्योंकि यदि हम खुद सुरक्षित होंगे तो हमारे जरिए दूसरों के संक्रमित होने की संभावना भी कम होगी। मधुमेह रोगियों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन दिया जाना चाहिए क्योंकि कोविड-19 से संक्रमित होने पर उनकी सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है। मधुमेह और पहले से मौजूद अन्य मेडिकल जटिलताओं से प्रभावित लोगों को भी जल्द से जल्द वैक्सीन दी जानी चाहिए।
संक्षेप में, मैं सभी को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना चाहूंगा कि वे रोग से बचाव के लिए पूरी सावधानी बरतें और इस रोग या वैक्सीन के बारे में किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें!वैक्सीनेशन ही कोविड-19 की जटिलता से बाहर निकालने का निश्चित उपाय है।
डिस्क्लेमर: लेखक डॉ सुभाष वांगनू, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में सीनियर एंडोक्रानोलॉजिस्ट हैं। प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।