Yellow Fungus Infection in Ghaziabad: भारत अभी भी कोरोनावायरस की मार से उभरने की जद्दोजहद कर रहा है। इसी बीच ब्लैक और व्हाइट फंगस ने भारत की मुश्किलों को दोगुना कर दिया है। भारत में स्वास्थ्य से जुड़ी संस्थाएं अभी ब्लैक और व्हाइट फंगस से आधारित कुछ बातों पर अध्ययन कर ही रहे थे कि येलो फंगस ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है। गाजियाबाद के एक अस्पताल में एक कोरोना मरीज के अंदर येलो फंगस को पाया गया है।
कुछ अध्ययन के अनुसार, यह पता चला है कि येलो फंगस एक तरह का फंगाई है जो पालतू जानवरों समेत कई जंगली जानवरों में भी पाया जाता है। यह फंगस खासतौर से रेप्टाइल्स में पाया जाता है। अभी भारत में स्वास्थ्य से जुड़ी संस्थाओं को इस फंगस से आधारित कुछ और बातों पर अध्ययन करना बाकी है मगर यह जूनोटिक डिजीज इम्यूनिटी से कमजोर लोगों को अपना शिकार बना सकता है। कुछ खबरों के मुताबिक, जिस कोरोना मरीज के अंदर येलो फंगस पाया गया है उसका इलाज ईएनटी सर्जन बीपी त्यागी कर रहे हैं।
क्या है डॉक्टर बीपी त्यागी का कहना? (Doctors view on Yellow Fungus)
एक इंटरव्यू के दौरान डॉ बीपी त्यागी ने यह बताया कि शुरुआत में इस फंगस का पता नहीं चला था मगर कुछ और टेस्ट करवाने के बाद यह पाया गया कि यह मरीज ब्लैक और व्हाइट फंगस समेत येलो फंगस से भी पीड़ित है। ईएनटी सर्जन बीपी त्यागी के मुताबिक, यह फंगस ज्यादातर रेप्टाइल्स में पाया जाता है। इस फंगस के इलाज के लिए Amphotericin B इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है।
इस मरीज की आयु 45 साल है जिसका इलाज गाजियाबाद के संजय नगर के हर्ष अस्पताल में किया जा रहा है। डॉक्टर बीपी त्यागी ने बताया कि इस मरीज की हालत अभी ठीक नहीं है और उसका इलाज किया जा रहा है। इस मरीज के बेटे ने यह बताया कि उनके पिता कोरोनावायरस के मरीज हैं और कुछ समय से उनका इलाज चल रहा था।
दो-तीन दिन पहले उनकी आंखों में सूजन आ गई थी और अचानक से वह बंद हो गई थीं। इसके साथ उनके नाक से भी खून निकल रहा था और पेशाब लीक कर रहा था। डॉक्टर बीपी त्यागी ने बताया कि ऐसे मरीजों को भूख कम लगती है साथ में उनका वजन कम होता है और वह रेस्पॉन्स काफी सुस्ती से करते हैं।
कैसे होता है येलो फंगस? (Yellow Fungus Infection causes)
विशेषज्ञों का मानना है कि साफ सफाई में कमी और नमी के कारण यह फंगस किसी इंसान को अपना शिकार बनाता है। इसी बीच कर्नाटक हेल्थ अथॉरिटीज की तरफ से एक जांच पड़ताल प्लान किया जाएगा जिसमें मरीज के इलाज में इस्तेमाल हो रहे ऑक्सीजन की क्वालिटी को चेक किया जाएगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार, यह पता चला है कि कर्नाटक के डिप्टी चीफ मिनिस्टर सीएन अश्वत नारायण ने यह सवाल उठाए हैं कि भारत से ही क्यों ब्लैक फंगस और अन्य तरह के फंगस के केसेज दर्ज किए जा रहे हैं वहीं बाकी कोरोना पीड़ित देशों से ऐसे केसेज सामने नहीं आ रहे हैं।
क्या है येलो फंगस? (What is Yellow Fungus)
शोध के अनुसार, यह पता चला था कि कैद में रखे गए दाढ़ी वाले ड्रैगंस में यह डर्मेटोलॉजिकल कंडीशन पाई जाती है जिसे येलो फंगस के नाम से जाना जाता है। अभी इस बात का यह पता नहीं चला है कि किन परिस्थितियों के अधीन मायकॉटिक डिजीज इन स्पीसीज में फैलता है लेकिन खराब खान पान, हसबेंडरी, पर्यावरण के तनाव, ट्राॅमा और कुछ डर्मेटाइटिस परिस्थितियों की वजह से यह फंगस इन स्पीसीज को निशाना बना सकता है।
इससे पहले अन्य देशों में भी इंसान के अंदर येलो फंगस को पाया गया है। यह इंफेक्शन कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में फैल सकता है मगर पशुओं का ध्यान रख रहे कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए कोई खतरा नहीं है। मगर इस स्थिति में इंसानों को खास प्रिकॉशन लेने की जरूरत है।