Centre-State Science Conclave: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (10 सितंबर, 2022) को केंद्र-राज्य विज्ञान सम्मेलन (Centre-State Science Conclave) का उद्घाटन किया, पर देश को दो सूबों ने इस कार्यक्रम से किनारा कर लिया। बिहार और झारखंड की ओर से इस प्रोग्राम में किसी भी प्रतिनिधि ने हिस्सा नहीं लिया। दोनों सूबों की गैर-मौजूदगी को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है, मगर बीजेपी के सूत्रों ने मीडिया को बताया कि यह दर्शाता है कि दोनों ही प्रदेश की सरकारों की प्राथमिकता में साइंस और इनोवेशन नहीं हैं। वैसे, इस प्रोग्राम में बाकी सूबों की सरकार के नुमाइंदों के साथ टॉप उद्योगपति, युवा वैज्ञानिक और इनोवेटर्स ने हिस्सा लिया।
रोचक बात है कि बिहार और झारखंड की ओर से इस प्रोग्राम में हिस्सा न लेने का फैसला तब किया गया, जब दोनों ही प्रदेशों में सियासी उथल-पुथल की स्थिति हाल-फिलहाल के दिनों में देखने को मिली है। बिहार में जहां कुछ रोज पहले नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ ताल्लुकात तोड़ लिए थे और राजद के तेजस्वी यादव, कांग्रेस व अन्य के साथ मिलकर नई सरकार बना ली।
वहीं, झारखंड में सियासी संकट के बीच फ्लोर टेस्ट जीता था। हालांकि, वह पद पर रहते हुए खुद को खनन पट्टा देने के लिए अयोग्यता की आशंका का सामना कर रहे हैं। बीजेपी ने इस मसले की शिकायत चुनाव आयोग से की थी। वैसे, जेएमएम और कांग्रेस के गठजोड़ वाली सरकार ने आरोप लगाया था कि बीजेपी महाराष्ट्र और म.प्र की तरह सूबे में उनकी सरकार गिराने की कोशिश कर रही है।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान’ के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है। हमें इस ‘अमृत काल’ में भारत को अनुसंधान और नवाचार का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए विभिन्न मोर्चों पर एकसाथ काम करना होगा।
वह बोले- हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने शोध को स्थानीय स्तर पर ले जाना है। यह समय की जरूरत है कि सभी राज्य स्थानीय समस्याओं के स्थानीय समाधान खोजने के लिए नवाचार पर जोर दें।
उन्होंने राज्य सरकारों से स्थानीय समस्याओं के समाधान खोजने के लिए विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी से संबंधित आधुनिक नीतियां बनाने का आग्रह करते हुए वैज्ञानिकों के साथ और अधिक सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
पीएम मोदी ने कहा, विज्ञान 21वीं सदी के भारत के विकास में उस ऊर्जा की तरह है, जो हर क्षेत्र के विकास और हर राज्य के विकास को गति देने की शक्ति रखता है। आज जब भारत चौथी औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करने की ओर बढ़ रहा है, भारत के विज्ञान की भूमिका और इस क्षेत्र से जुड़े लोग बहुत महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में प्रशासन और नीति निर्माण में लोगों की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है।
बकौल पीएम मोदी, "पिछली सदी के शुरूआती दशकों के दौरान, दुनिया तबाही और त्रासदी के दौर से गुजर रही थी। लेकिन उस युग में भी, चाहे वह पूर्व की बात हो या पश्चिम की, हर जगह वैज्ञानिक अपनी महान खोज में लगे हुए थे। पश्चिम में आइंस्टीन, फर्मी, मैक्स प्लैंक, नील्स बोहर और टेस्ला जैसे वैज्ञानिक अपने प्रयोगों से दुनिया को चकाचौंध कर रहे थे। इसी अवधि में, कई वैज्ञानिक, जिनमें सी.वी. रमन, जगदीश चंद्र बोस, सत्येंद्रनाथ बोस, मेघनाद साहा और एस चंद्रशेखर अपनी नई खोजों को सामने ला रहे थे।"
पीएम आगे बोले- सरकार विज्ञान आधारित विकास की सोच के साथ काम कर रही है। 2014 के बाद से, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश में काफी वृद्धि हुई है। सरकार के प्रयासों के कारण, आज भारत ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 46वें स्थान पर है, जबकि 2015 में, भारत 81वें स्थान पर था। उन्होंने देश में पंजीकृत पेटेंटों की रिकॉर्ड संख्या की सराहना की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस अमृत काल में भारत को अनुसंधान और नवाचार का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए एक साथ कई मोचरें पर काम करना होगा। (एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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