नई दिल्ली: भारत ने चीन से कहा है कि वह पूर्वी लद्दाख में रणनीतिक रूप से अहम देपसांग-दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर से अपने सैनिकों को पीछे हटाएं तथा निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाए। दोनों देशों के बीच मेजर जनरल-स्तरीय वार्ता के दौरान भारत ने चीन को दो टूक यह बात कही। वार्ता के दौरान, भारत लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि चीन जल्द से जल्द अपने सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटाए और पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में पांच मई से पहले के अनुसार यथास्थिति तत्काल बहाल करे।
चीन लगातार कर रहा है सैनिकों की तैनाती
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, देपसांग में चीनी सेना की भारी और स्थायी उपस्थिति से भारत के प्रवेश मार्गों और दौलत बेग ओल्डी रोड व उत्तर में काराकोरम दर्रे से लगी हवाई पट्टी को खतरा हो सकता है। पीएलए ने यहां टैंक और तोपखाने बंदूकों के साथ 12,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है। भारतीय सेना ने क्षेत्र में कुछ जगहों पर पैदल सेना की टुकड़ियों और एक बख्तरबंद ब्रिगेड को भी तैनात किया है।
मेजर जनरल स्तर की वार्ता
एलएसी के चीनी क्षेत्र की तरफ दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) इलाके में सीमा सैनिकों के बैठक स्थल पर मेजर जनरल स्तर की वार्ता चल रही है जो शनिवार सुबह 11 बजे शुरू हुई और शाम 7:30 बजे संपन्न हुई। वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 3 इन्फैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल अभिजीत बापट ने की। भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि चीन को फिंगर चार और आठ के बीच के क्षेत्रों से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए।
सेना को निर्देश
इससे पहले सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने एलएसी पर अग्रिम क्षेत्रों में अभियान की निगरानी कर रहे सेना के सभी वरिष्ठ कमांडरों को आदेश दिया कि उच्च स्तर की सतर्कता बरती जाए और चीन के किसी भी ‘‘दुस्साहस’’ से निपटने के लिए आक्रामक रुख बरकरार रखा जाए। इसके अलावा भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में और एलएसी पर अन्य सभी संवेदनशील क्षेत्रों में कड़ाके की सर्दी के मौसम में एलएसी पर सैनिकों और हथियारों की मौजूदा संख्या बरकरार रखने के लिए विस्तृत योजना तैयार की है। आपको बता दें कि भारतीय सेना और वायुसेना ने लद्दाख, उत्तर सिक्किम, उत्तराखंड तथा अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर सभी इलाकों में तब तक बहुत उच्च स्तर की अभियान संबंधी तैयारियां रखने का फैसला किया है।
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