प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। उन्होंने इससे पहले इसमें बड़ा फेरबदल भी किया। कुल 12 मंत्रियों का इस्तीफा हुआ और फिर 43 मंत्रियों ने शपथ ली, इसमें से 36 पहली बार मंत्री बने। इसमें सहयोगी दलों को भी शामिल किया गया है। हालांकि इस मंत्रिमंडल विस्तार से नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने बिहार के अपने 2 सहयोगी दलों को बड़ा मैसेज या कहें कि झटका दिया है।
जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) से एक-एक चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। दरअसल, यहां ये समझने वाली बात है कि सिर्फ 1 ही मंत्री पद मिलने के प्रस्ताव पर जेडीयू 2019 में केंद्र सरकार में शामिल नहीं हुई थी। इस बार भी उसकी मांग अधिक पदों की थी। खबरों की मानें तो जेडीयू ने 4 मंत्री पद मांगे थे, 2 केंद्रीय मंत्री और 2 राज्य मंत्री। लेकिन पीएम मोदी ने सिर्फ एक ही केंद्रीय मंत्री का पद दिया।
बिहार चुनाव के नतीजों से बदले समीकरण
जेडीयू ने 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के बाद सबसे ज्यादा 16 सीटें जीती थीं। इसी के आधार पर पार्टी केंद्र में अपना प्रतिनिधित्व ज्यादा चाहती थी। हालांकि बीजेपी ने इसे स्वीकार नहीं किया। इसी वजह से पहले जदयू केंद्र सरकार में शामिल नहीं हुई और गठबंधन को बिहार तक ही सीमित रखा। लेकिन पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव ने सारे समीकरण बदल दिए। इस बार बीजेपी जेडीयू से काफी आगे निकल गई। उसे 74 सीटें मिलीं, जबकि नीतीश कुमार की पार्टी सिर्फ 43 सीटों पर सिमट गई। इसके बावजूद बीजेपी ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाया।
ऐसे में कहा जा सकता है कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद चीजें काफी बदल गईं। अब गठबंधन में बीजेपी काफी मजबूत हो चुकी है। इसी के आधार पर बीजेपी के सामने जेडीयू ज्यादा मांग नहीं रख सकती है। कह सकते हैं कि बदलती तस्वीरों के चलते ही जेडीयू ने 2019 में जिस प्रस्ताव को ठुकराया, उसे ही अब मानना पड़ा। यानी केंद्र में सिर्फ 1 मंत्री पद मिला।
चिराग की न फिर भी चाचा को चुना
वहीं ऐसा ही हाल कह सकते हैं कि बीजेपी ने एलजेपी नेता चिराग पासवान के साथ किया है। 2019 में 6 सीटें जीतने वाली लोजपा की तरफ से रामविलास पासवान मंत्री बने। लेकिन पिछले साल उनके निधन के बाद चीजें बदल गईं। चिराग के नेतृत्व में पार्टी ने एनडीए से अलग होकर विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि चुनाव के दौरान चिराग प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपना प्रेम और लगाव जाहिर करते रहे। उन्होंने खुद को पीएम का हनुमान तक कहा। चुनाव में एलजेपी का प्रदर्शन खराब रहा, लेकिन उसने जेडीयू को काफी नुकसान पहुंचाया। अभी हाल ही में पार्टी में बगावत हो गई। चाचा पशुपति कुमार पारस ने चिराग के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। उन्होंने 4 सांसदों के साथ मिलकर खुद को लोकसभा में एलजेपी का नेता घोषित करवा लिया।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी पीएम मोदी ने पशुपति पारस को जगह दी और चिराग को पूछा तक नहीं। चिराग ने कहा कि पशुपति को लोजपा के कोटे से मंत्री न बनाया जाए। उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया है। अगर ऐसा हुआ तो मैं कोर्ट तक जाऊंगा। उन्होंने पीएम मोदी को इस संबंध में पत्र भी लिखा। फिर भी पारस को ही मोदी ने केंद्रीय मंत्री बनाया। चिराग पासवान खाली हाथ रह गए।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।