बिकरु गांव की वो काली रात
कानपुर के बिकरु गांव में जिस तरह विकास दुबे ने 8 पुलिसकर्मियों को शहीद कर दिया उसके बाद पूरा प्रदेश सकते में है। यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं कि आखिर हम कब जागेंगे। यह सवाल इसलिए भी मूफीद है क्योंकि अगर किसी तरह की लापरवाही पर पुलिस टीम लगाम लगाने में कामयाब हुई होती तो शायद इस तरह की घटना नहीं हुई होती। उस कांड के बारे में दबिश देने वालों में से एसएचओ बिठूर जो बातें बताईं वो हैरान करने के साथ साथ सवाल भी करती हैं।
पूरी तरह से तैयार नहीं थी दबिश देने वाली टीम
न ही हम पूरी तरह असलहों के साथ तैयार थे और न ही इस बात की भनक लगी कि विकास दुबे इतना खौफनाक साजिश रचा होगा। निश्चित तौर पर हम लोग उसकी जाल में फंस गए। यह उस पुलिकर्मी का बयान है को दबिश टीम का हिस्सा था और जख्मी हो गया। कौशलेंद्र प्रताप सिंह, एसएचओ बिठूर बताते हैं कि एकाएक कुछ समझ में नहीं आया कि क्या हो गया। गांव में अंधेरा था इसलिए भी बहुत दिक्कत हो रही थी। विकास दुबे के गुर्गे लगातार फायरिंग कर रहे थे। बिकरु गांव में जो कुछ हो रहा था वो पूरी तरह से फिल्मी लग रहा था। विकास के गुर्गे पूरी तरह तैयार थे। उसके साथ जितने भी बदमाश थे हर एक के पास हथियार था। वो सेमी ऑटोमेटिक हथियार का इस्तेमाल कर रहे थे।
विकास दुबे पूरी तरह तैयार था
कौशलेंद्र बताते हैं कि जब आप सिंगल शॉट वेपन से अटैक करते हैं दो फायरिंग के बीच समय लगता है। वो बताते हैं कि 15 से 20 लोग लगातार पुलिस पार्टी पर फायरिंग करते रहे। विकास दुबे गैंग को पहले ही जानकारी मिल चुकी थी कि बड़ी संख्या में पुलिस बल छापा मारने वाला है, यही नहीं लाइट की व्यस्था कुछ इस कदर थी कि पुलिस पार्टी को अंधेरे का सामना करना पड़ा। बदमाशों ने कुछ इस तरह तैयारी की थी हम लोग साफ नजर आ रहे थे। लेकिन उनमें से कोई नहीं दिखाई दिया।
जेसीबी मशीन बन गई काल
वो कहते हैं कि उनके थाने को जानकारी दी गई कि चौबेपुर पुलिस स्टेशन छापेमारी करेगी जिसमें उन्हें भी शामिल होना है। समीपवर्ती थाना होने के नाते हम एकदूसरे की मदद करते हैं। हम लोग करीब रात 12.30 बजे बिकरु के लिए निकले और एसओ चौबेपुर को ज्वाइन किया। जो टीम दबिश देने के लिए गई थी उसमें सीओ बिल्हौर, एसओ शिवराजपुर के साथ साथ बिठूर और चौबेपुर थाने के कांस्टेबल थे। दुबे के घर से करीब 200 से 250 मीटर हम लोगों ने अपनी गाड़ी पार्क की। जब वो लोग दुबे के घर के पास पहुंचे तो रास्ते में जेसीबी मशीन अवरोध के लिए लगाई थी।
जेसीबी मशीन कुछ इस तरह खड़ी की गई कि केवल एक ही शख्स इधर उधर जा सकता था। हम लोगों ने जैसे ही जेसीबी मशीन को पार किया एकाएक गोलियों की बौछार शुरू हो गई। तीन लोगों को सीधे गोली लगी और उसके बाद हम लोग इधर उधर हो गए, सभी लोग यह कोशिश कर रहे थे जहां जगह मिले छिप जाएं।
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