सांकेतिक फोटो 
मुख्य बातें
- आंखों को लेकर काफी शायरी लिखी गई है
- बड़े शायरों ने भी इस पर कलम चलाई है
- क्या आपने आंखों पर ये मशहूर शेर पढ़े हैं
आंखें सिर्फ देखने का नहीं बल्कि जज्बातों के इजहार का भी जरिया हैं। कई बार जो बात इंसान की जबान से अदा नहीं होती, वो आंखें बयां कर देती हैं। अगर आंखों को इंसान के ख्वाबों और ख्यालों का आईना कहें तो शायद गलत न होगा। शायरों और कवियों ने भी आंखों पर काफी कुछ लिखा है। आइए आपको शायरों के वो 10 पॉपुपलर शेर पढ़वाते हैं, जो उन्होंने आंखों पर कहे हैं।
- आंखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमां हो
नजरों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है
(जां निसार अख्तर) - इस क़दर रोया हूं तेरी याद में
आईने आंखों के धुदले हो गए
(नासिर काजमी) - हसीं तेरी आंखें हसीं तेरे आंसू
यहीं डूब जाने को जी चाहता है
(जिगर मुरादाबादी) - देखी हैं बड़े ग़ौर से मैं ने वो निगाहें
आंखों में मुरव्वत का कहीं नाम नहीं है
(जलील मानिकपूरी) - आ जाए न दिल आप का भी और किसी पर
देखो मिरी जां आंख लड़ाना नहीं अच्छा
(भारतेंदु हरिश्चंद्र) - मैं ने चाहा था कि अश्कों का तमाशा देखूं
और आंखों का खजाना था कि ख़ाली निकला
(साकी फारुकी) - खुदा बचाए तिरी मस्त मस्त आँखों से
फरिश्ता हो तो बहक जाए आदमी क्या है
(खुमार बाराबंकवी) - जो उन मासूम आँखों ने दिए थे
वो धोके आज तक मैं खा रहा हूँ
(फिराक गोरखपुरी) - शबनम के आंसू फूल पर ये तो वही किस्सा हुआ
आंखें मिरी भीगी हुई चेहरा तिरा उतरा हुआ
(बशीर बद्र) - दिलों का जिक्र ही क्या है मिलें मिलें न मिलें
नजर मिलाओ नजर से नजर की बात करो
(सूफी तबस्सुम)