मुंबई: देश में कोरोना के मामले डेढ़ लाख के आंकड़े को पार कर चुके हैं तो महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 57 हजार के पार है और पिछले 24 घंटे में 105 लोगों की मौत हुई है। इन सबके बीच कोरोना टेस्टिंग के संबंध में कुछ संशोधित गाइडलाइंस जारी की गई है।नए नियमों के मुताबिक इमरजेंसी सर्जरी, गर्भवती महिलाएं भले ही उनमें कोरोना के लक्षण न हों और जिनका डिलिवरी पांच दिन में होनी हो उन्हें राहत दी गई है। इसके साथ ही हीमोडायलिसिस मरीजों को भा राहत मिली है।
मुंबई की हालत न्यूयॉर्क जैसी
अगर मुंबई की बात करें तो कोरोना संक्रमित लोगों की तादाद में 1044 लोगों की बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ 32 और लोगों की मौत हुई है।इस तरह से मुंबई में अकेले कोरोना संक्रमितों की तादाद 33, 835 और मरने वालों की संख्या 1097 हो चुकी है। यहां धारावी का जिक्र करना जरूरी है। बुधवार को 18 मरीजों का इजाफा हुआ। इस तरह से यहां कोरोना के एक्टिव केस 1639 है और 61 लोग काल के गाल में समा चुके हैं।
आखिर चूक कहां हुई
बड़ा सवाल यह है कि आखिर चूक कहां हुई। राज्य सरकार लगातार इस बात के दावे कर रही है हालात नियंत्रण में है लेकिन जिस तरह से मामले बिना लगाम सामने आ रहे हैं उसके बाद सरकारी दावों की पोल खुलती नजर आती है। जानकार कहते हैं कि आंकड़े जिस तरह से बढ़ रहे हैं उससे एक बात साफ है कि शुरुआती दिनों में हालाता पर काबू नहीं पाया जा सका। आंकड़ों में जो इजाफा हो रहा है उसे 3 मई से पहले और उसके बाद के संदर्भ में देखना जरूरी है। पूरे देश में जब लॉकडाउन लागू किया उस समय भी सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र से ही आ रहे थे।
डराते हैं कोरोना के बढ़ते हुए केस
3 मई के बाद जब लॉकडाउन को आंशिक तौर पर खोला गया तो देश के अलग अलग राज्यों की तरह कोरोना के केस महाराष्ट्र खासतौर से मुंबई में बढ़े। मुंबई की अगर बात करें तो ऐसे पॉकेट्स है जहां सोशल डिस्टेंसिंग को अमल में लाना आसान नहीं है। इसके साथ ही शुरुआती दिनों में टेस्ट की संख्या भी सीमित थी। अब जब टेस्ट की संख्या बढ़ चुकी है तो स्वाभाविक तौर पर कोरोना केस में इजाफा होना ही था।
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