बीजेपी विधायक नीतेश राणे के लिए आज का दिन काफी अहम था। कथित तौर पर मर्डर केस में एंटीसिपेटरी बेल की अर्जी पर बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले से उन्हें झटका लगा है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कथित तौर पर हत्या के प्रयास के मामले में राणे को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। एक अन्य सह-आरोपी मनीष दलवी की अग्रिम जमानत को हाई कोर्ट ने अनुमति दी है। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे बीजेपी विधायक नीतेश राणे ने 3 जनवरी को महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में उनके खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास के एक मामले में गिरफ्तारी से पहले जमानत की मांग करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सिंधुदुर्ग जिले की सत्र अदालत ने पिछले हफ्ते कंकावली विधायक की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
'राजनीतिक रंजिश में फंसाया गया'
नीतेश राणे के वकील संग्राम देसाई ने सोमवार को कहा कि उच्च न्यायालय में विधायक के आवेदन पर मंगलवार को न्यायमूर्ति सी वी भडांग की एकल पीठ द्वारा सुनवाई किए जाने की संभावना है।विधायक ने अपनी याचिका में दावा किया कि राजनीतिक रंजिश के चलते उन्हें हत्या के प्रयास के मामले में झूठा फंसाया गया है।उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ मामला 30 दिसंबर को हुए सिंधुदुर्ग जिला केंद्रीय सहकारी बैंक चुनावों में भाग लेने से रोकने के एकमात्र उद्देश्य से दर्ज किया गया था।
चुनाव प्रचार के दौरान शिवसेना कार्यकर्ता की हुई थी हत्या
नीतेश राणे और अन्य के खिलाफ पिछले दिसंबर में कंकावली पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 120 (बी) (आपराधिक साजिश) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।यह मामला बैंक चुनाव के प्रचार के दौरान स्थानीय शिवसेना कार्यकर्ता संतोष परब पर कथित हमले से जुड़ा है।
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