महाराष्ट्र की सियासत के बारे में कहा जाता है कि वहां सरकार तो है लेकिन बिना मेल की है। महाविकास अघाड़ी के मुखिया उद्धव ठाकरे हैं, वो कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत अपनी सरकार चला रहे हैं। लेकिन उनकी विचारधार जो रही है उसकी वजह से निशाने पर हैें, हिंदुत्व की बात करने वाले उद्धव ठाकरे का एक फैसला एमएनएस को पच नहीं रहा। मामला मंदिरों से लाउड स्पीकर उतारने का है। शिवसेना के विचारों को लेकर महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) ने शिवसेना भवन के सामने बैनर लगा दिया है। यह भी लिखा है कि देख बालासाहेब, आपका बेटा हिंदू होने के कारण मंदिर से लाउडस्पीकर निकाल रहा है।
बीजेपी भी है हमलावर
इससे पहले इस मुद्दे पर बीजेपी भी उद्धव सरकार की घेरेबंदी कर चुकी है। बीजेपी का कहना है कि यह कितने शर्म की बात है जो शिवसेना अपने आपको मंदिरों का संरक्षक मानती थी, मंदिरों के विकास की बात किया करती थी उसी शिवसेना का दूसरा रूप अब महाराष्ट्र की जनता के सामने हैं। सिर्फ सरकार में बने रहने के लिए जिस तरह से उद्धव ठाकरे फैसला कर रहे हैं उसे जनता पारखी नजरों से देख रही है और आने वाले समय में उसका जवाब उन्हें जरूर मिलेगा।
क्या कहते हैं जानकार
हाल ही में एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे और नितिन गडकरी की मुलाकात भी चर्चा में है। कुछ लोगों का कहना है कि बीजेपी की रणनीति है कि एमएनएस को कट्टर हिंदुत्व वाली पार्टी के रूप में पेश किया जाए जो कभी शिवसेना के नाम हुआ करती थी। जनता आसानी से एमएनएस को शिवसेना के विकल्प के तौर पर अपना सकती है क्योंकि हार्डकोर राजनीतिज्ञ के रूप में राज ठाकरे अपने को पेश करते रहे हैं। राज ठाकरे ने जब शिवसेना से रिश्ता तोड़कर अलग पार्टी का गठन किया उसके बाद से उनका राजनीतिक सफर परवान न चढ़ सका। महाविकास अघाड़ी की सरकार में जिस तरह से हालात बन रहे हैं उसे देखते हुए राज ठाकरे को भी लगता है कि जिस विरासत को लेकर उद्धव ठाकरे आगे बढ़ाने की बात किया करते थे, सही रूप में उसे जमीन पर अमल में ला सकते हैं।
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